3. THE INDEX OF HITTITE NAMES
(A BOOK ON HITTITE NAMES PUBLISHED
IN LONDON- 1923)
के िल नाम
4. ईरान के सम्राट दारा (४८४ ईसा पूिश)
के काल के शशलालेख में
“वपस्तपुह्या इदकतश िचाकु षाआ, उलाह्चा हिन्दुडिु
इनिचािरउिततया अपररयु”
इस मिल के तनमाशण में प्रयुक्त िाथीदाांत के अलांकरण को कु श
एिम ् सरस्िती की हिन्दु भूशम से लाया गया िै
5. इस्लाम के उदय से पूिश अरबी कवियों
की एक सांगोष्ठी का आयोजन िोता था
जजसके मित्िपूणश अांश स्िणश
पट्हटकाओां पर अांककत करके काबा के
मजन्दर में सांरक्षित ककए जाते थे
काबा पर अधिकार के उपरान्त पैगम्बर मोिम्मद ने ििााँ
उपलब्ि समस्त पुस्तकों ि अन्य सांरक्षित साहित्य को
जला हदया
6. उस अजननकाण्ड के उपरान्त भी जो
शेष बचा उनमें मोिम्मद से १०००
िषश पूिश के कवि लाबबबबन अख्ताफ़
बबन तुरफा की एक कविता
इस्ताम्बुल के पुस्तकालय में सांरक्षित
िै, इस अरबी कविता का सांक्षिप्त
अथश िै-
7. िे हिन्दु भूशम, आप भानयशाली िै
हिन्दु भूशम जजसे वििाता ने बुद्धि ि
ज्ञान के शलए चुना, जजसके प्रकाश
स्तम्भ विश्ि के कीततशमान िैं, जिााँ
सृजष्टकताश ने िैहदक मनीषा का प्रकाश
ककया जो िमें बन्िुत्ि का मागश
हदखाती िै, जजससे आलोककत मनुष्य
को अन्िकार से मुजक्त शमलती िै
8. पैगम्बर मोिम्मद के अग्रज उमर बबन
आज़म जजन्िें अब्दुल िकीम भी किा
गया तथा इस्लाम स्िीकार न करने ि
मोिम्मद का विरोि करने के कारण
मोिम्मद के अनुयाइयों ने उन्िें अब्दुल
जजिाल किा, द्िारा रधचत एक कविता
की पांजक्तयााँ द्रष्टव्य िै--
9. जीिन भर के पापकृ त्यों ि दुष्कमों के
पश्चात् उनसे तनिृवि तथा पश््याताप का
कोई मागश िै क्या ? िााँ िै, यहद िि हृदय
से मिादेि की भजक्त करे और िमश के
मागश में प्रशस्त िो ! िे ईश्िर मेरे समस्त
जीिन के बदले मुझे के िल एक हदन हिन्दु
भूशम में व्यतीत करने का अिसर दो जिााँ
की उिमता ि ऋवषयों का सातनांध्य मनुष्य
जन्म को सफल कर देता िै !
10. अरब में श्रेष्ठता ि सुन्दरता के शलए
हिन्द शब्द का प्रयोग िोने के
ऐततिाशसक प्रमाण शमलते िैं !
Oyun Akhbar Al Hinda Vas Sindh- written by
Ibn-barr.
Dr. S Jilani (Articles in Organiser)
20. शसख मत प्रितशक नानक के पुर श्रीचन्द जी की
ित्या का प्रयास जब कु छ तत्िों ने ककया, तब
उनके शशष्यों द्िारा की गई प्राथशना में -
जगतगुरु श्रीचन्द मनाओ, सब हिन्दु शमलके ये गाओ !
जगतगुरु श्रीचन्द िमारा, सब हिन्दुन का रखिारा !!
21. खालसा पन्थ प्रितशक गुरु गोविन्द शसांि
रधचत दशम ग्रन्थ में -
सकल जगत में खालसा पन्थ गाजे !
जगे िमश हिन्दु तुरक िुांद भाजे !!
22. पृथ्िीराज चौिान के समकालीन कवि
चन्दबरदाई की कविता में हिन्दू शब्द
अनेक स्थलों पर आया िै
23. बीकानेर के राणा पृथ्िीराज ने एक पर
में मिाराणा प्रताप को शलखा-
हिन्दुपतत परताप पन रखे हिन्द्िन की !
सिे विपवि सांताप सत्य सपथाकरा अपनी !!
24. छरपतत शशिाजी का महिमामांडन करने
िाले कवि भूषण का पद सुपररधचत िै
!! राखी हिन्दुिानी हिन्दुिान को ततलक राख्यो .....!!
25. िैिस्ित मनु से पृथु, ययातत,
मान्िाता, जह्नु, परशुराम, रघु, सागर,
राम, शान्तनु, देिव्रत भीष्म, कृ ष्ण
सदृश प्रतापी राजाओां की पौराणणक
ऐततिाशसकता गौरिशाली भारतीय
अतीत ि हिन्दु की ऐततिाशसक गररमा
का प्रतीक िै !
26. और अन्त में स्िातांत्र्यिीर सािरकर द्िारा
हिन्दु को पररभावषत करता सुभावषत
विनायक दामोदर सािरकर की िैचाररक
श्रेष्ठता का जाज्िल्यमान प्रमाण िै-
अशसन्िु शसन्िु पयशन्ता यस्य भारतभूशमका !
वपतृभू: पुण्यभुश्चैि हिन्दुररतत स्मृत: !!