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riteshbharat7

रितेश भारत

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Occupation
Assistant Professor
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कौन जाने कि मर के रहे ना रहे ,,,,,,,,,,,,, सर हथेली पर लेकर आगे बढो , याद रखना कहीं सर रहे ना रहे , जब मुस्किल में कातिल के आ ही गये, तो तमन्ना है क्या घर रहे ना रहे , अन्न माता का खाते हो खाते रहो , पर समय के पड़े सर कटाते रहो , खून का जोश अपना दिखाते रहो, चाहें हाथो में खंजर रहे ना रहे ,