कौन जाने कि मर के रहे ना रहे ,,,,,,,,,,,,,
सर हथेली पर लेकर आगे बढो ,
याद रखना कहीं सर रहे ना रहे ,
जब मुस्किल में कातिल के आ ही गये,
तो तमन्ना है क्या घर रहे ना रहे ,
अन्न माता का खाते हो खाते रहो ,
पर समय के पड़े सर कटाते रहो ,
खून का जोश अपना दिखाते रहो,
चाहें हाथो में खंजर रहे ना रहे ,