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Kendriya
Vidyalaya
Vijayanarayanam
Class - 5th
Subject - ह िंदी
Mool chand meena
{ Prt }
● लोनपो गार के बेटे को लगा कक उसके कपता बहुत खुश होंगे। मगर उसकी आपबीती पर उन्होंने ध्यान नहीं
किया। वे उठकर कमरे से बाहर चले गए। िूसरे किन उन्होंने अपने बेटे को बुलाकर कहा, “कपछली बार भेडों के
बाल उतारकर बेचना मुझे ज़रा भी पसंि नहीं आया। अब तुम िोबारा उन्हीं भेडों को लेकर जाओ। उनके साथ
जौ के सौ बोरे लेकर ही लौटना।”
● एक बार फिर निराश लोिपो गार का बेटा शहर में उसी जगह जा बैठा। ि
जािे क्यों उसे यकीि था फक वह लड़की उसकी मदद क
े ललए ज़रूर
आएगी। और हुआ भी क
ु छ ऐसा ही, वह लड़की आई। उससे उसिे अपिी
मुश्ककल कह सुिाई, “अब तो बबिा जौ क
े सौ बोरों क
े मेरे पपता मुझे घर में
िहीीं घुसिे देंगें।” लड़की सोचकर बोली, “एक तरीका है।” उसिे भेड़ों क
े
सीींग काट ललए। उन्हें बेचकर जो रुपए लमले उिसे सौ बोरे जो खरीदे। बोरे
लोिपो गार क
े बेटे को सौंपकर लड़की िे उसे घर भेज ददया।
● भेडेेेेीं और जौ क
े बोरे पपता क
े
हवाले करते हुए लोिपो गार का बेटा
खुश था। उसिे पवजयी भाव से सारी
कहािी कह सुिाई। सुिकर लोिपो
गार बोले, “उस लड़की से कहो फक हमें
िौ हाथ लींबी राख की रस्सी बिाकर
दे।” उिक
े बेटे िे लड़की क
े पास जाकर
पपता का सींदेश दोहरा ददया। लड़की िे
एक शतत रखी “मैं रस्सी बिा तो दूँगी।
मगर तुम्हारे पपता को वह गले में
पहििी होगी।” लोिपो गार िे सोचा
ऐसी रस्सी बिािा ही असींभव है।
इसललए लड़की की शतत मींजर कर ली।
● अगले ददि लड़क
े िे िौ हाथ लींबी रस्सी
ली। उसे पत्थर क
े लसल पर रखा और
जला ददया। रस्सी जल गई, मगर
रस्सी क
े आकार की राख बच गई। इसे
वह लसल समेत लोिपो गार क
े पास ले
गई और उसे पहििे क
े ललए कहा।
लोिपो गार रस्सी देखकर चफकत रह
गए। वे जािते थे फक राख की रस्सी को
गले में पहििा तो दर, उठािा भी
मुश्ककल है। हाथ लगाते ही वह टट
जाएगी। लड़की की समझदारी क
े
सामिे उिकी अपिी चालाकी धरी रह
गई। बबिा वक्त गूँवाए लोिपो गार िे
अपिे बेटे की शादी का प्रस्ताव लड़की
क
े सामिे रख ददया। धमधाम से उि
दोिों की शादी हो गई।

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कक्षा 5 राख की रस्सी भाग 2, by Mool Chand Meena

  • 1. Kendriya Vidyalaya Vijayanarayanam Class - 5th Subject - ह िंदी Mool chand meena { Prt }
  • 2. ● लोनपो गार के बेटे को लगा कक उसके कपता बहुत खुश होंगे। मगर उसकी आपबीती पर उन्होंने ध्यान नहीं किया। वे उठकर कमरे से बाहर चले गए। िूसरे किन उन्होंने अपने बेटे को बुलाकर कहा, “कपछली बार भेडों के बाल उतारकर बेचना मुझे ज़रा भी पसंि नहीं आया। अब तुम िोबारा उन्हीं भेडों को लेकर जाओ। उनके साथ जौ के सौ बोरे लेकर ही लौटना।”
  • 3. ● एक बार फिर निराश लोिपो गार का बेटा शहर में उसी जगह जा बैठा। ि जािे क्यों उसे यकीि था फक वह लड़की उसकी मदद क े ललए ज़रूर आएगी। और हुआ भी क ु छ ऐसा ही, वह लड़की आई। उससे उसिे अपिी मुश्ककल कह सुिाई, “अब तो बबिा जौ क े सौ बोरों क े मेरे पपता मुझे घर में िहीीं घुसिे देंगें।” लड़की सोचकर बोली, “एक तरीका है।” उसिे भेड़ों क े सीींग काट ललए। उन्हें बेचकर जो रुपए लमले उिसे सौ बोरे जो खरीदे। बोरे लोिपो गार क े बेटे को सौंपकर लड़की िे उसे घर भेज ददया।
  • 4. ● भेडेेेेीं और जौ क े बोरे पपता क े हवाले करते हुए लोिपो गार का बेटा खुश था। उसिे पवजयी भाव से सारी कहािी कह सुिाई। सुिकर लोिपो गार बोले, “उस लड़की से कहो फक हमें िौ हाथ लींबी राख की रस्सी बिाकर दे।” उिक े बेटे िे लड़की क े पास जाकर पपता का सींदेश दोहरा ददया। लड़की िे एक शतत रखी “मैं रस्सी बिा तो दूँगी। मगर तुम्हारे पपता को वह गले में पहििी होगी।” लोिपो गार िे सोचा ऐसी रस्सी बिािा ही असींभव है। इसललए लड़की की शतत मींजर कर ली।
  • 5. ● अगले ददि लड़क े िे िौ हाथ लींबी रस्सी ली। उसे पत्थर क े लसल पर रखा और जला ददया। रस्सी जल गई, मगर रस्सी क े आकार की राख बच गई। इसे वह लसल समेत लोिपो गार क े पास ले गई और उसे पहििे क े ललए कहा। लोिपो गार रस्सी देखकर चफकत रह गए। वे जािते थे फक राख की रस्सी को गले में पहििा तो दर, उठािा भी मुश्ककल है। हाथ लगाते ही वह टट जाएगी। लड़की की समझदारी क े सामिे उिकी अपिी चालाकी धरी रह गई। बबिा वक्त गूँवाए लोिपो गार िे अपिे बेटे की शादी का प्रस्ताव लड़की क े सामिे रख ददया। धमधाम से उि दोिों की शादी हो गई।