1. क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान, भोपाल
01 नवम्बर 2022
प्राक
ृ शिक संसाधनो का
प्रबंधन
डॉ. कमलेि गोल्हानी सहायक प्राध्यापक, क
ृ शि
बी.एस.सी (क
ृ शि), एम.एस. सी. (भूसूचनािकनीकी)
पी.एच.डी (क
ृ शि प्रद्योशगकी, मलेशिया)
पूर्व सहायक प्राध्यापक, एस.आर. एम. शर्शिद्यालय, चेन्नई
2. मध्य प्रदेश ६७ वा स्थापना ददवस की
हाददिक शुभकामनाये
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3. प्रजेंटेशन क
े प्रमुख द िंदु:
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• दवदभन्न प्राक
ृ दिक सिंसानन
• सिंसानन दवमशि
• सिंसानन प्र न्धन
• छात्रिं क
े दिए गदिदवदनयााँ
4. प्राक
ृ शिक संसाधन क्या हैं?
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पृथ्वी पर उपलब्ध संसाधन हैं, भूमि, जल और वायु. यह संसाधन मिलकर
स्थलिंडल, जलिंडल, एवं वायुिंडल का मनिााण करते है. भूमि की बाहरी
परत को सािान्य तौर िें स्थलिंडल कहा जाता है. जल पृथ्वी के 75%
भाग को कवर करता है, एवं जल भूमिगत भी होता है, इसे जलिंडल
कहा जाता हैं। वायु जो एक कंबल की तरह पूरी पृथ्वी को ढकती है उसे
वायुिंडल कहा जाता है.
8. जल
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जल पृथ्वी के बहुत बडे क्षेत्र िें व्याप्त है. जल सतह पर और भूमिगत भी
पाया जाता है. कुछ पानी की िात्रा पानी के रूप िें िौजूद है और
वातावरण िें वाष्प के रूप िें भी ।
अमधकांश पानी खारा है जो पृथ्वी की सतह पर सिुद्रों और िहासागरों िें
पाया जाता है. वही शुद्ध पानी दो ध्रुवों पर बर्ा से ढके पहाडों पर बर्ा के
रूप िें जिा हुआ है.
हलाकक भूमिगत जल और नकदयों, झीलों और तालाबों िें भी शुद्ध पानी
उपलब्ध होता है. शुद्ध पानी की उपलब्धता स्थान के अनुसार बदलती
रहती है ।
वास्तव िें गर्िायों िें ज्यादातर जगहों पर शुद्ध जल की कमि का सािना
करना पडता है.
9. जमीन
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भूमि /िृदा या मिट्टी एक िहत्वपूणा संसाधन है यह ककसी क्षेत्र की जैव
मवमवधता के मलए कार्ी हद तक मजम्िेदार है । जैसा हिने देखा, पृथ्वी की
बाहरी परत को स्थलिंडल या भूपटल कहा जाता है.
इस परत िें पाए जाने वाले खमनज, जीवो के मलए बहुत आवशयक है,
मवमभन्न पोषक तत्वों की पूर्ता इन खमनजो के द्वारा होती है. यह खमनज यकद
चट्टानों के रूप िें रहे तो उनका उपयोग नहीं हो सकता था.
हजारों वषों के दौरान, भौमतक, रासायमनक और कुछ जैमवक प्रकियाएं के
पररणाि स्वरुप यह मवशाल पत्थर या चट्टान टूट जाते है और अंत िें बचा
कण िृदा का रूप ले लेता है.
मजसिे बहुत प्रकार के कण, धूल, मिट्टी, ह्यूिस आकद का मिश्रण होता है.
10. जंगल
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जंगल को एक जरटल पाररमस्थमतकी तंत्र के रूप िें जाना जाता है जो पेडों,
झामडयों, घास और काई से घनी होती है।
जंगलों का एक महस्सा बनने वाले पेड और अन्य पौधे एक ऐसा वातावरण
बनाते हैं जो जानवरों की कई प्रजामतयों के प्रजनन के मलए स्वस्थ होता है।
इस प्रकार जंगली जानवरों और पमक्षयों की एक मवशाल मवमवधता के मलए
एक मनवास स्थान है।
अरुणाचल प्रदेश, िध्य प्रदेश, ओमडशा, छत्तीसगढ़ और िहाराष्ट्र उन राज्यों
िें से हैं, मजनका भारत िें सबसे बडा वन क्षेत्र है।
भारत िें वामनकी एक प्रिुख ग्रािीण उद्योग है। यह बडी संख्या िें लोगों की
आजीमवका का साधन है। इनिें मसर्ा लकडी से बने सािान ही नहीं, बमकक
गैर-लकडी उत्पादों की भी पयााप्त िात्रा शामिल है। इसके गैर-लकडी
उत्पादों िें आवश्यक तेल, औषधीय जडी-बूरटयां, रेमजन, फ्लेवर, सुगंध और
सुगंध रसायन, िसूडे, लेटेक्स, हस्तमशकप, अगरबत्ती और खुजली वाली
सािग्री शामिल हैं।
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नमवदा बचाओ आन्दोलन
1980 के दशक िें िध्य प्रदेश, िहाराष्ट्र और गुजरात के भारतीय राज्यों िें बहने वाली एक प्रिुख जलिागा निादा नदी िें
बांधों के मनिााण के मवरोध िें शुरू हुआ था।
जैसा कक शुरू िें आंदोलन का उददेश्य बांध को रोककर पयाावरण मवनाश तथा इससे लोगों के मवस्थापन को रोकना था।
बाद िें आंदोलन का उद्देश्य बांध के कारण मवस्थामपत लोगों को सरकार द्वारा दी जा रही राहत कायों की देख-रेख तथा
उनके अमधकारों के मलए न्यायालय िें जाना बन गया।
निादा बचाओ आंदोलन जो एक जन आंदोलन के रूप िें उभरा, कई सिाजसेमवयों, पयाावरणमवदों, छात्रों, िमहलाओं,
आकदवामसयों, ककसानों तथा िानव अमधकार कायाकतााओं का एक संगरित सिूह बना।
निादा बचाओं आंदोलन ने 1989 िें एक नया िोड मलया। मसतम्बर, 1989 िें िध्य प्रदेश के हारसूद जगह पर एक आि
सभा हुई मजसिें 200 से अमधक गैर सरकारी संगिनों के 45000 लोगों ने भाग मलया।
2019 : छोटा बडदा (बडवानी) िें 32 हजार प्रभामवतों के जीवन और जीमवका की रक्षा िें असर्ल रहने से प्रदेश सरकार के
मखलार् प्रभामवतों िें आिोश बढ़ा। इस सत्याग्रह को देशभर सिथान मिला . सुश्री िेधा पाटकर के अमनमितकालीन अनशन
ककया .
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नमाशम गंगे
• सरकार द्वारा इस पररयोजना की िुरुआि गंगा नदी क
े प्रदू िर् को कम करने िथा गंगा नदी को पुनजीशर्ि करने
क
े उद्देश्य से की गई थी।
• इस योजना का शियान्वयन क
ें द्रीय जल संसाधन,नदी शर्कास और गंगा कायाकल्प मंत्रालय द्वारा शकया जा रहा
है।
• नमाशम गंगे/नेिनल शमिन फॉर क्लीन गंगा (National Mission for Clean Ganga- NMCG) क
े राष्ट्र ीय गंगा नदी
बेशसन पररयोजना क
े पहले चरर् जो शक शदसंबर 2021 िक है, क
े शलये शर्ि बैंक से 4,535 करोड़ रूपए ($ 600
शमशलयन) पहले ही प्राप्त हो चुक
े हैं।
• अब िक शमिन क
े िहि शर्ि बैंक द्वारा 25,000 करोड़ रुपए की 313 पररयोजनाओं को मंज़ूरी दी गई है
• गंगा को स्वच्छ और प्रदू िर् मुक्त रखने क
े एक अन्य प्रयास में यूपी सरकार नमाशम गंगे अशभयान क
े िहि नदी में
पिुपालन की प्रथा िुरू करेगी। मत्स्य पालन शर्भाग द्वारा शर्शभन्न प्रजाशियों की लगभग 15 लाख मछशलयों को
नदी में छोडने की कायवयोजना बनाई गई है
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भारि का जल मानर्
र्ाटर मैन ऑफ इंशडया डॉक्टर “राजेंद्र दसिंह” को कहा जािा है।
डॉ राजेंद्र ससंह ने 2015 िें स्टॉकहोि वाटर प्राइज जीता था और इससे पूवा 2001 िें िैग्सेसे पुरस्कार भी जीता था।
साधारण भाषा िें बताए तो वाटर िैन का काया होता है कक वे जल संरक्षण करें और पयाावरण को सुरमक्षत रखें। पयाावरण िे ककसी भी
प्रकार से जल की किी होने से बचाए।
डॉ राजेंद्र ससंह ने पानी संरक्षण को ही अपना सपना बनाया और वाटर िैन ऑर् इंमडया की उपामध प्राप्त की। इसके अलावा इन्होंने पानी के
संरक्षण हेतु िुद्दे पर सदेव काया ककया और संगिनों का राष्ट्रीय नेटवका भी बना रहे हैं मजसका नाि है राष्ट्रीय जल मबरादरी।
यह नेटवका देश की सभी शमिशाली और छोटी बडी नकदयों के पानी को संरमक्षत करने पर काया कर रहा है।