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कर्ण शष्क
ु ली
शष्क
ु लल रोग संख्या – 3
क
ू लि कर्ण, कर्ण लिप्पली, कर्ण लिदारीका
कर्णिाली रोग संख्या – सु. -5
-िा. - 7
 िालीशोष, तंलिका, िररिोट,िररलेही, उन्मंथ,उत्पात,दुखिर्णन
साध्य असाध्यता
• असाध्यााः - लिप्पली ,सिणजं शूलं ,लिदारी ,क
ु लिकर्णकाः
• याप्य - तन्त्रिका
• साध्य – बाकी सब
सामन्य लिलकत्सा
• स्नेहन
• अभ्यंग
• िररषेक
• रक्तमोक्षर्
एको नीरुगनेको िा गर्भे मांसाङ् क
ु राः न्त्रथथराः| लिप्पली लिप्पलीमानाः
 दोष - िात
 लक्षर् –
कर्णलिप्पली
क
ू लिकर्ण
 दोष - िात
 लक्षर् –
गर्भेऽलनलात्सङ् क
ु लिता शष्क
ु ली क
ु लिकर्णकाः
कर्णलिदाररका
 दोष - सलनित
 लक्षर् –
 लिलकत्सा – लिद्रलर् समान
सिर्णाः सरुजाः स्तब्धाः श्वयथुाः, स उिेलक्षताः
कटुतैललनर्भं िक्वाः स्रिेत् क
ृ च्छ्
रे र् रोहलत
सङ्कोियलत रूढा ि सा ध्रुिं कर्णशष्क
ु लीम्
लसराथथाः क
ु रुते िायुाः िालीशोषं तदाह्वयम्
क
ृ शा दृढा ि तिीित् िाली िातेन तन्त्रिका
िालीशोषं
 दोष - िात
 लक्षर् –
 लिलकत्सा – • िातज कर्णशूल समान
• नस्य
• स्नेहन स्वेदन
• अभ्यंग – बल्य औषर् युक्त तेल से / जीिनीय गर् लसद्ध तेल से
• शतािरी तेल
तिीका
 दोष - िात
 लक्षर् –
 लिलकत्सा – िाली शोष समान
गुिाणर्भरर्र्भाराद्ैाः श्यािो रुग्दाहिाकिान्
श्वयथुाः स्फोट लिलटका राग उषा क्लेद संयुताः
सुक
ु मारे लिरोत्सगाणत्सहसैि प्रिलर्णते
कर्े शोफाः सरुक
् िाल्यामरुर्ाः िररिोटिान्
िररिोटाः स ििनात्
िररिोट
 दोष - िात
 लक्षर् –
 लिलकत्सा –– िाली शोष समान
 - लक
ं लित रक्तमोक्षर् लफर जीिनीय गर् लसद्ध तेल
 दोष - रक्त लित
 लक्षर् –
 लिलकत्सा – रक्तमोक्षर् – जलोका द्वारा
 लिसिण मे बताए घृत प्रयोग
उत्पाताः
दुलिणद्धे िलर्णते कर्े सकण्ड
ू दाहिाकरुक
्
श्वयथ् उाः सलििातोत्थाः स नाम्ना दुाःखिर्णनाः
िाल्यां शोफोऽलनलकफात्सिणतो लनर्व्णथाः न्त्रथथराः
स्तब्धाः सिर्णाः कण्ड
ू मान उन्मन्थो गन्त्रिरश्च साः
 दोष - सलििात
 लक्षर् –
 लिलकत्सा –अभ्यंग – लाक्षा तेल + लिडंग तेल से
 दोष - िात कफ
 लक्षर् –
 लिलकत्सा – अभ्यंग – गोर्ा ,क
े कड़ा की िसा से
-िररषेक – िाषार्र्भेद, जामुन, आम्र िि से
उन्मन्थ
दुाःखिर्णनाः
 दोष - कफ रक्त
 लक्षर् –
 लिलकत्सा –
 लिडंग लेि
 सषणि तेल अभ्यंग
 गोबर लिंड स्वेद
कफासृक
् ऽऽक
ृ लमजााः सूक्ष्ााः सकण्ड
ू क्लेदिेदनााः
लेह्याख्यााः लिलटकास्ता लह ललह्युाः िालीमुिेलक्षतााः
लेह्य

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कर्ण शष्कुलि.pptx

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  • 3. एको नीरुगनेको िा गर्भे मांसाङ् क ु राः न्त्रथथराः| लिप्पली लिप्पलीमानाः  दोष - िात  लक्षर् – कर्णलिप्पली क ू लिकर्ण  दोष - िात  लक्षर् – गर्भेऽलनलात्सङ् क ु लिता शष्क ु ली क ु लिकर्णकाः कर्णलिदाररका  दोष - सलनित  लक्षर् –  लिलकत्सा – लिद्रलर् समान सिर्णाः सरुजाः स्तब्धाः श्वयथुाः, स उिेलक्षताः कटुतैललनर्भं िक्वाः स्रिेत् क ृ च्छ् रे र् रोहलत सङ्कोियलत रूढा ि सा ध्रुिं कर्णशष्क ु लीम्
  • 4. लसराथथाः क ु रुते िायुाः िालीशोषं तदाह्वयम् क ृ शा दृढा ि तिीित् िाली िातेन तन्त्रिका िालीशोषं  दोष - िात  लक्षर् –  लिलकत्सा – • िातज कर्णशूल समान • नस्य • स्नेहन स्वेदन • अभ्यंग – बल्य औषर् युक्त तेल से / जीिनीय गर् लसद्ध तेल से • शतािरी तेल तिीका  दोष - िात  लक्षर् –  लिलकत्सा – िाली शोष समान
  • 5. गुिाणर्भरर्र्भाराद्ैाः श्यािो रुग्दाहिाकिान् श्वयथुाः स्फोट लिलटका राग उषा क्लेद संयुताः सुक ु मारे लिरोत्सगाणत्सहसैि प्रिलर्णते कर्े शोफाः सरुक ् िाल्यामरुर्ाः िररिोटिान् िररिोटाः स ििनात् िररिोट  दोष - िात  लक्षर् –  लिलकत्सा –– िाली शोष समान  - लक ं लित रक्तमोक्षर् लफर जीिनीय गर् लसद्ध तेल  दोष - रक्त लित  लक्षर् –  लिलकत्सा – रक्तमोक्षर् – जलोका द्वारा  लिसिण मे बताए घृत प्रयोग उत्पाताः
  • 6. दुलिणद्धे िलर्णते कर्े सकण्ड ू दाहिाकरुक ् श्वयथ् उाः सलििातोत्थाः स नाम्ना दुाःखिर्णनाः िाल्यां शोफोऽलनलकफात्सिणतो लनर्व्णथाः न्त्रथथराः स्तब्धाः सिर्णाः कण्ड ू मान उन्मन्थो गन्त्रिरश्च साः  दोष - सलििात  लक्षर् –  लिलकत्सा –अभ्यंग – लाक्षा तेल + लिडंग तेल से  दोष - िात कफ  लक्षर् –  लिलकत्सा – अभ्यंग – गोर्ा ,क े कड़ा की िसा से -िररषेक – िाषार्र्भेद, जामुन, आम्र िि से उन्मन्थ दुाःखिर्णनाः
  • 7.  दोष - कफ रक्त  लक्षर् –  लिलकत्सा –  लिडंग लेि  सषणि तेल अभ्यंग  गोबर लिंड स्वेद कफासृक ् ऽऽक ृ लमजााः सूक्ष्ााः सकण्ड ू क्लेदिेदनााः लेह्याख्यााः लिलटकास्ता लह ललह्युाः िालीमुिेलक्षतााः लेह्य