ݺߣ

ݺߣShare a Scribd company logo
कश्मॶर की सैर
Nibha Verma
NIBHA VERMA
कश्मॶर की सैर
कश्मॶर
WEST COAST
ROAD TRIP
Your Name • Sept 20XX
भारत क
े राज्य
Lorem ipsum dolor
sit amet,
consectetur
adipiscing elit, sed
do eiusmod tempor
incididunt ut
labore
श्रीनगर की यात्रा
कश्मॶर की सैर
नशात बाग
Long Beach
6:28am
शालीमार बाग
Malibu sunset
हाउसबोट
72 HOURS.
4 HUMANS.
1 CAR. 3 DOGS.
डल झील में तैरते हुए खेत
Lorem ipsum dolor
sit amet,
consectetur
adipiscing elit, sed
do eiusmod tempor
incididunt ut
labore
काँगड़ी , फ
े रन , हरॶसा
कश्मॶर की सैर
कांगड़ी िजसे कश्मॶरी आजकल मोबाइल हीटर भी कहते है. कांगड़ी की बनावट की अगर बात करें तो
यह मट्टी क
े एक गोल बतर्यन पर पेड़ों की लचीली टह नयों से एक बास्क
े ट की तरह बनाई जाती है, फर
इस मट्टी क
े बतर्यन में कोयला डाल आग पैदा की जाती है. इसक
े बाद कांगड़ी को फ
े रन क
े भीतर लेकर
इसे बदन को गरम रखा जाता है. कांगड़ी को पहले मानन ( मट्टी का बतर्यन) क
े नाम से जाना जाता था
फर इसे क
ं ग (आग) का नाम दया गया मगर अब यह कांगड़ी क
े नाम से कश्मॶर में मशहूर है. कांगड़ी
की बनावट भी अलग अलग तरीकों से होती है. एक कांगड़ी नाज़ुक पतली टह नओं से बनती है िजसे
शादी या कस और समारोह पर इस्तेमाल कया जाता है और यही कांगड़ी जब मज़बूत टह नयों से
बनती है तो इसे आम मेहनतकश लोग इस्तेमाल करते है.
फ
े रन को फ़ारसी ज़ुबान में पेहराहन कहा जाता था क
ंं धों से लेकर
ए ड़यों तक लंबा यह पहनावा धीरे धीरे फ
े रन बन गया. यह कश्मॶर
की संस्कृ त का वो हस्सा है जो आज हज़ारों साल बाद भी
कश्मी रयों में एक बड़ा मुकाम रखता है. कश्मॶर क
े इ तहासकार
मानते है क वक्त कतना भी वक सत क्यों ना हो, यह पहनावा
कश्मॶर क
े लोग कभी नहीं बदलेंगे.
हरॶसा
हरॶसा पूरी रात तैयार होता है, ज़मीन क
े अंदर गड़े एक मट्टी क
े बतर्यन क
े इदर्य
गदर्य आग जलाई जाती है फर इस मट्टी क
े बतर्यन में सूखे चावल, बकरे क
े
गोश्त क
े साथ बहुत सारे मसाले डाले जाते है. रातभर इसे पकाया जाता है फर
सुबह रोशनी होते ही लोग हरॶसा की दुकानों पर पहुंचते है और इसे खाते है.
पहले तो यह पकवान कश्मॶर की क
ु छ ही दुकानों पर बनता था. मगर अब हर
जगह मलता है, यहाँ तक की अब लोगों ने इसे घर में भी बनाना शुरू कया है
और इतना ही नहीं यह पकवान अब देश क
े बा क हस्सों क
े साथ साथ वदेशों
में भी भेजा जाता है.
घरों , पौधों , पेड़ों की डा लयों पर बफ़
र्य की तहें
कश्मॶर की सैर
क
े सर
Pacific Coast Highway
लकड़ी पर नक्काशी
कश्मॶर की सैर
शहतूत क
े पेड़
कश्मॶर की सैर
चश्मा - ए - शाही
कश्मॶर की सैर
गुलमगर्य
कश्मॶर की सैर
खलनमगर्य
कश्मॶर की सैर
मातर्तंड में खं डत सूयर्य मं दर
कश्मॶर की सैर
पहलगाम
कश्मॶर की सैर
सेब क
े पेड़
कश्मॶर की सैर
आड़ुओं क
े पेड़
कश्मॶर की सैर
चेरी
कश्मॶर की सैर
समाप्त

More Related Content

कश्मॶर की सैर

  • 1. कश्मॶर की सैर Nibha Verma NIBHA VERMA कश्मॶर की सैर
  • 3. WEST COAST ROAD TRIP Your Name • Sept 20XX
  • 5. Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore
  • 13. 72 HOURS. 4 HUMANS. 1 CAR. 3 DOGS.
  • 14. डल झील में तैरते हुए खेत
  • 15. Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore
  • 16. काँगड़ी , फ े रन , हरॶसा
  • 18. कांगड़ी िजसे कश्मॶरी आजकल मोबाइल हीटर भी कहते है. कांगड़ी की बनावट की अगर बात करें तो यह मट्टी क े एक गोल बतर्यन पर पेड़ों की लचीली टह नयों से एक बास्क े ट की तरह बनाई जाती है, फर इस मट्टी क े बतर्यन में कोयला डाल आग पैदा की जाती है. इसक े बाद कांगड़ी को फ े रन क े भीतर लेकर इसे बदन को गरम रखा जाता है. कांगड़ी को पहले मानन ( मट्टी का बतर्यन) क े नाम से जाना जाता था फर इसे क ं ग (आग) का नाम दया गया मगर अब यह कांगड़ी क े नाम से कश्मॶर में मशहूर है. कांगड़ी की बनावट भी अलग अलग तरीकों से होती है. एक कांगड़ी नाज़ुक पतली टह नओं से बनती है िजसे शादी या कस और समारोह पर इस्तेमाल कया जाता है और यही कांगड़ी जब मज़बूत टह नयों से बनती है तो इसे आम मेहनतकश लोग इस्तेमाल करते है.
  • 19. फ े रन को फ़ारसी ज़ुबान में पेहराहन कहा जाता था क ंं धों से लेकर ए ड़यों तक लंबा यह पहनावा धीरे धीरे फ े रन बन गया. यह कश्मॶर की संस्कृ त का वो हस्सा है जो आज हज़ारों साल बाद भी कश्मी रयों में एक बड़ा मुकाम रखता है. कश्मॶर क े इ तहासकार मानते है क वक्त कतना भी वक सत क्यों ना हो, यह पहनावा कश्मॶर क े लोग कभी नहीं बदलेंगे.
  • 21. हरॶसा पूरी रात तैयार होता है, ज़मीन क े अंदर गड़े एक मट्टी क े बतर्यन क े इदर्य गदर्य आग जलाई जाती है फर इस मट्टी क े बतर्यन में सूखे चावल, बकरे क े गोश्त क े साथ बहुत सारे मसाले डाले जाते है. रातभर इसे पकाया जाता है फर सुबह रोशनी होते ही लोग हरॶसा की दुकानों पर पहुंचते है और इसे खाते है. पहले तो यह पकवान कश्मॶर की क ु छ ही दुकानों पर बनता था. मगर अब हर जगह मलता है, यहाँ तक की अब लोगों ने इसे घर में भी बनाना शुरू कया है और इतना ही नहीं यह पकवान अब देश क े बा क हस्सों क े साथ साथ वदेशों में भी भेजा जाता है.
  • 22. घरों , पौधों , पेड़ों की डा लयों पर बफ़ र्य की तहें
  • 30. चश्मा - ए - शाही
  • 36. मातर्तंड में खं डत सूयर्य मं दर