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“कर चले हम
फ़िदा”
कर चले हम फ़िदा - कैफ़ी आज़मी
पाठ प्रवेश
फ ़िंदगी प्राणीमात्र को फप्रय होती है। कोई भी इसे यूँ ही खोना नही़िं चाहता। असाध्य रोगी तक
जीवन की कामना करता है। जीवन की रक्षा, सुरक्षा और उसे फजलाए रखने क
े फलए प्रक
ृ फत ने
न क
े वल तमाम साधन ही उपलब्ध कराए हैं, सभी जीव-ज़िंतुओ़िं में उसे बनाए, बचाए रखने की
भावना भी फपरोई है। इसीफलए शा़िंफतफप्रय जीव भी अपने प्राणो़िं पर स़िंकट आया जान उसकी
रक्षा हेतु मुकाबले क
े फलए तत्पर हो जाते हैं।
लेफकन इससे ठीक फवपरीत होता है
सैफनक का जीवन, जो अपने नही़िं,
जब औरो़िं क
े जीवन पर, उनकी
आ ादी पर आ बनती है, तब
मुकाबले क
े फलए अपना सीना तान
कर खडा हो जाता है। यह जानते
हुए भी फक उस मुकाबले में औरो़िं की
फ ़िंदगी और आ ादी भले ही बची
रहे. उसकी अपनी मौत की
स़िंभावना सबसे , अफधक होती है।
प्रस्तुत पाठ जो युद्ध की पृष्ठभफम पर बनी फ़िल्म
‘हकीकत’ क
े फलए फलखा गया था, ऐसे ही सैफनको़िं क
े
हृदय की आवाज बयान करता है, फजन्हें अपने फकए–
धरे पर नाज है। इसी क
े साथ उन्हें अपने देशवाफसयो़िं से
क
ु छ अपेक्षाएूँ भी हैं। चूँफक फजनसे उन्हें ये अ्पेक्षाएूँ हैं वे
देश वासी और कोई नही़िं, हम और आप ही हैं, इसफलए
आइए, इसे पढ़कर अपने आप से पछें फक हम उनकी
अपेक्षाएूँ परी कर रहे हैं या नही़िं?
कर चले हम फ़िदा
क
ै ़िी
आजमी
बेटी - दामाद बहू - बेटा
शौकत आजमी
कर चले हम फ़िदा जानो-तन
साफथयो
अब तुम्हारे हवाले वतन साफथयो
साूँस थमती गई , नब्ज जमती गई
फिर भी बढ़ते कदम को न रुकने
फदया
कट गए सर हमारे तो क
ु छ गम
नही़िं
सर फहमालय क न हमने झुकने
फदया
कर चले हम फ़िदा
क
ै ़िी आजमी
सैफनक सैफनक
फजन्दा रहने क
े मौसम बहुत हैं मगर
जान देने की रुत रोज आती नही़िं
हुस्न और इश्क दोनो़िं को रुसवा करे
वो जवानी जो खूँ में नहाती नही़िं
आज धरती बनी है दुल्हन साफथयो
अब तुम्हारे हवाले वतन साफथयो
आज धरती बनी है दुल्हन साफथयो अब तुम्हारे हवाले वतन
साफथयो
राह क
ु बााफनयो़िं की न वीरान हो
तुम सजाते ही रहना नए काफ़िले
़ितह का जश्न इस जश्न क
े बाद है
फजन्दगी मौत से फमल रही है गले
बाूँध लो अपने सर से क़िन साफथयो
अब तुम्हारे हवाले वतन साफथयो
खी़िंच दो अपने खूँ से जमी़िं पर
लकीर
इस तऱि आने पाए न रावन कोई
तोड दो हाथ अगर हाथ उठने लगे
छ न पाए सीता का दामन कोई
राम भी तुम , तुम्ही़िं लक्ष्मण साफथयो
अब तुम्हारे हवाले वतन साफथयो
गृह - काया
• क
ै ़िी आजमी उदा भाषा क
े प्रफसद्ध कफव और शायर थे। ये
पहले गजल फलखते थे। बाद में फ़िल्मो़िं में गीतकार और
कहानीकार क
े रूप में फलखने लगे। फनमााता चेतन आनन्द
की फ़िल्म ‘हकीकत’ क
े फलए इन्हो़िंने यह गीत फलखा, फजसे
बहुत प्रफसद्धद्ध फमली।यफद स़िंभव हो सक
े तो यह फ़िल्म
देद्धखए।
•‘फ़िल्म का समाज पर प्रभाव’ फवषय पर एक अनुच्छे द
फलद्धखए।

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कर चले हम फ़िदा - कैफ़ी आज़मी

  • 3. पाठ प्रवेश फ ़िंदगी प्राणीमात्र को फप्रय होती है। कोई भी इसे यूँ ही खोना नही़िं चाहता। असाध्य रोगी तक जीवन की कामना करता है। जीवन की रक्षा, सुरक्षा और उसे फजलाए रखने क े फलए प्रक ृ फत ने न क े वल तमाम साधन ही उपलब्ध कराए हैं, सभी जीव-ज़िंतुओ़िं में उसे बनाए, बचाए रखने की भावना भी फपरोई है। इसीफलए शा़िंफतफप्रय जीव भी अपने प्राणो़िं पर स़िंकट आया जान उसकी रक्षा हेतु मुकाबले क े फलए तत्पर हो जाते हैं।
  • 4. लेफकन इससे ठीक फवपरीत होता है सैफनक का जीवन, जो अपने नही़िं, जब औरो़िं क े जीवन पर, उनकी आ ादी पर आ बनती है, तब मुकाबले क े फलए अपना सीना तान कर खडा हो जाता है। यह जानते हुए भी फक उस मुकाबले में औरो़िं की फ ़िंदगी और आ ादी भले ही बची रहे. उसकी अपनी मौत की स़िंभावना सबसे , अफधक होती है।
  • 5. प्रस्तुत पाठ जो युद्ध की पृष्ठभफम पर बनी फ़िल्म ‘हकीकत’ क े फलए फलखा गया था, ऐसे ही सैफनको़िं क े हृदय की आवाज बयान करता है, फजन्हें अपने फकए– धरे पर नाज है। इसी क े साथ उन्हें अपने देशवाफसयो़िं से क ु छ अपेक्षाएूँ भी हैं। चूँफक फजनसे उन्हें ये अ्पेक्षाएूँ हैं वे देश वासी और कोई नही़िं, हम और आप ही हैं, इसफलए आइए, इसे पढ़कर अपने आप से पछें फक हम उनकी अपेक्षाएूँ परी कर रहे हैं या नही़िं?
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  • 7. क ै ़िी आजमी बेटी - दामाद बहू - बेटा शौकत आजमी
  • 8. कर चले हम फ़िदा जानो-तन साफथयो अब तुम्हारे हवाले वतन साफथयो साूँस थमती गई , नब्ज जमती गई फिर भी बढ़ते कदम को न रुकने फदया कट गए सर हमारे तो क ु छ गम नही़िं सर फहमालय क न हमने झुकने फदया कर चले हम फ़िदा क ै ़िी आजमी सैफनक सैफनक
  • 9. फजन्दा रहने क े मौसम बहुत हैं मगर जान देने की रुत रोज आती नही़िं हुस्न और इश्क दोनो़िं को रुसवा करे वो जवानी जो खूँ में नहाती नही़िं आज धरती बनी है दुल्हन साफथयो अब तुम्हारे हवाले वतन साफथयो
  • 10. आज धरती बनी है दुल्हन साफथयो अब तुम्हारे हवाले वतन साफथयो
  • 11. राह क ु बााफनयो़िं की न वीरान हो तुम सजाते ही रहना नए काफ़िले ़ितह का जश्न इस जश्न क े बाद है फजन्दगी मौत से फमल रही है गले बाूँध लो अपने सर से क़िन साफथयो अब तुम्हारे हवाले वतन साफथयो
  • 12. खी़िंच दो अपने खूँ से जमी़िं पर लकीर इस तऱि आने पाए न रावन कोई तोड दो हाथ अगर हाथ उठने लगे छ न पाए सीता का दामन कोई राम भी तुम , तुम्ही़िं लक्ष्मण साफथयो अब तुम्हारे हवाले वतन साफथयो
  • 13. गृह - काया • क ै ़िी आजमी उदा भाषा क े प्रफसद्ध कफव और शायर थे। ये पहले गजल फलखते थे। बाद में फ़िल्मो़िं में गीतकार और कहानीकार क े रूप में फलखने लगे। फनमााता चेतन आनन्द की फ़िल्म ‘हकीकत’ क े फलए इन्हो़िंने यह गीत फलखा, फजसे बहुत प्रफसद्धद्ध फमली।यफद स़िंभव हो सक े तो यह फ़िल्म देद्धखए। •‘फ़िल्म का समाज पर प्रभाव’ फवषय पर एक अनुच्छे द फलद्धखए।