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रमज़ान का महत्व और उसका स्वागत
रमज़ान करीम
की
ह़ार्दिक शुभ क़ामऩा पेश करेे हं।
हम आप
को
मुहम्मद श़ाहनव़ाज
शव्वाल
रजब
रबीउल आर्िर
मुहरमम
जुल्काइदा
शअबान
जमादुल अव्वल
सफर
जुल्-हहज्जा
रमजान
जमादुल आहिर
रबीउल अव्वल
 यर्द आक़ाश में ब़ादल हो ेो
शअब़ान के पूरे 30 र्दन पुऱा करेंगे।
आशंक़ा के र्दन क़ा रोज़ा नहीं रिेंगे।
रोज़ा (व्रे) की पररभ़ाष़ााः " रुकऩा " , अल्लाह का फरमान हैः
ِ‫ن‬ٰ‫ـ‬َ‫م‬ْ‫ح‬َّ‫لر‬ِ‫ل‬ ُ‫ت‬ ْ‫ر‬َ‫ذ‬َ‫ن‬ ‫ي‬ِِّ‫ن‬ِ‫إ‬ ‫ي‬ِ‫ل‬‫و‬ُ‫ق‬َ‫ف‬‫ا‬ َ‫م‬ِِّ‫ل‬َ‫ك‬ُ‫أ‬ ْ‫ن‬َ‫ل‬َ‫ف‬ ‫ا‬ً‫م‬ ْ‫و‬َ‫ص‬َ‫م‬ ْ‫و‬َ‫ي‬ْ‫ل‬‫ًّا‬‫ي‬ِ‫س‬‫ن‬ِ‫إ‬.
(‫مريم‬ ‫سورة‬:26)
रोजा
मैंने तो रहमान के हलए रोजे की मन्नत मानी ह। इसहलए मैं
आज हकसी मनुष्य से न बोलूँगी।“ (सरह मयममैः 26)
रोज़ा की इस्ल़ामी पररभ़ाष़ााः सुबह स़ार्दक से ले कर सूयि
के डुबने ेक ि़ाने–पीने ेथ़ा संभोग से रुके रहऩा, रोज़ा
कहल़ाे़ा है।
रोजा की हकसमेैः
फजम सुन्नत
सुन्नत रोज़ें बहुत से हैं। जसे शव्वाल के 6 रोज़ें,
हजहल्हज्जा का रोजा, दसवी मुहरमम, प्रत्येक
सोमवार और बृहसपहतवार का रोजा और प्रत्येक
महीने 13,14 और 15 हतहि का रोजा इत्याहद
रमज़ान का महत्व और उसका स्वागत
अल्ल़ाह ने रमज़ान के रोजे की अर्नव़ायिे़ा क़ा वर्िन कु रआन
में र्कय़ा है।
ُ‫ك‬ْ‫ي‬َ‫ل‬َ‫ع‬ َ‫ب‬ِ‫ت‬ُ‫ك‬ ‫وا‬ُ‫ن‬َ‫م‬‫آ‬ َ‫ِين‬‫ذ‬َّ‫ل‬‫ا‬ ‫ا‬َ‫ه‬ُّ‫ي‬َ‫أ‬ ‫ا‬َ‫ي‬َ‫ع‬ َ‫ب‬ِ‫ت‬ُ‫ك‬ ‫ا‬َ‫م‬َ‫ك‬ ُ‫م‬‫ا‬َ‫ي‬ِّ ِ‫الص‬ ُ‫م‬‫ى‬َ‫ل‬
ْ‫م‬ُ‫ك‬َّ‫ل‬َ‫ع‬َ‫ل‬ ْ‫م‬ُ‫ك‬ِ‫ل‬ْ‫ب‬َ‫ق‬ ‫ن‬ِ‫م‬ َ‫ِين‬‫ذ‬َّ‫ل‬‫ا‬ُ‫ق‬َّ‫ت‬َ‫ت‬َ‫ون‬‫البقرة‬:١٨٣﴾
ईम़ान ल़ाने व़ालो! ेुम पर रोजे अर्नव़ायि र्कए गए, र्जस प्रक़ार
ेुम से पहले के लोगों पर अर्नव़ायि र्कए गए थे, े़ार्क ेुम डर
रिने व़ाले बन ज़ाओ। (सूरह अलबक़ऱााः 183)
रमजान के महीने का रोजा हर मुहसलम, बाहलग,
बुहिमान पुरुष और स्री पर अहनवायम ह।
रमज़ान क़ा रोज़ा र्कन लोगों पर अर्नव़ायि है ?
रमज़ान का महत्व और उसका स्वागत
रमज़ान क़ा रोज़ा इस्ल़ाम क़ा चौथ़ा स्ेम्भ हैाः
1- कलम़ा शह़ाद़ाे की गव़ाही देऩा 2- नम़ाज क़ायम करऩा
3- शर्ि होने के
क़ारर् प्रर्े वषि
जक़ाे देऩा
4- रमज़ान महीने क़ा
रोज़ा रिऩा
5- शर्ि होने के क़ारर्
जीवन में एक ब़ार क़ाब़ा
शरीफ क़ा हज्ज करऩा
‫هريرة‬ ‫أبى‬ ‫وعن‬‫عنه‬ ‫هللا‬ ‫رضي‬‫قال‬:‫هللا‬ ‫رسول‬ ‫قال‬‫وس‬ ‫عليه‬ ‫هللا‬ ‫صلى‬‫لم‬:‫من‬
‫هللا‬ ‫غفر‬ ً‫ا‬‫واحتساب‬ ً‫ا‬‫إيمان‬ ‫رمضان‬ ‫صام‬‫ذ‬ ‫من‬ ‫ماتقدم‬ ‫له‬‫نبه‬.
(‫مسلم‬ ‫وصحيح‬ ‫البخاري‬ ‫صحيح‬)
1- क्षम़ा क़ा महीऩााः
रसूल (सल्लल्ल़ाहु अलैर्ह वसल्लम) ने फरम़ाय़ााः" जो व्यर्ि रमज़ान
महीने क़ा रोज़ा अल्ल़ाह पर र्वश्व़ास ेथ़ा पुण्य की आश़ा
करेे हुए रिेग़ा, उसके र्पछ्ले सम्पूर्ि प़ाप क्षम़ा कर र्दये
ज़ाएंगे।" (बुिारी तिा मुहसलम)
‫كل‬ِ‫ة‬‫سبعمائ‬ ‫إلى‬ ‫أمثالها‬ َ‫ة‬‫عشر‬ َ‫الحسنة‬ ُ‫ضاعف‬ُ‫ي‬ َ‫م‬‫آد‬ ِ‫ابن‬ ِ‫ل‬‫عم‬‫ضعف‬.ُ‫هللا‬ ‫قال‬
َّ‫عز‬َّ‫ل‬‫وج‬:‫إال‬ُ‫م‬‫الصو‬.‫أجزي‬ ‫وأنا‬ ‫لي‬ ُ‫ه‬َّ‫ن‬‫فإ‬ِ‫ه‬‫ب‬.‫شهو‬ ُ‫ع‬َ‫د‬َ‫ي‬‫من‬ ‫ه‬َ‫م‬‫وطعا‬ ‫ه‬َ‫ت‬‫أجلي‬.
ِ‫للصائم‬ِ‫فرحتان‬:‫عند‬ ٌ‫فرحة‬ٌ‫فرحة‬ ،‫ه‬ ِ‫فطر‬ِ‫لقاء‬ ‫عند‬ِ‫ه‬ِ‫رب‬.ُ‫أطيب‬ ِ‫ه‬‫في‬ ٌ‫لوف‬ُ‫خ‬‫ول‬
ِ‫ريح‬ ‫من‬ ِ‫هللا‬ ‫عند‬ِ‫المسك‬."(‫مسلم‬ ‫صحيح‬:1151)
2- रोजेद़ार को असीर्मे पुण्य र्दय़ा ज़ाे़ा हैाः
"म़ानव के प्रत्येक कमि क़ा बदल़ा एक से ले कर दस और र्फर स़ाे सो से
अर्िक दुग्ऩा र्कय़ा ज़ाे़ा है। अल्ल़ाह अज़्जज व जल्ल कहे़ा है र्सव़ाए रोज़ा के ,
बेशक रोज़ा मेरे र्लए है और उसक़ा बदल़ा के वल मं ही दूूँग़ा। क्योंर्क उसने
अपऩा ि़ाऩा पीऩा और सहव़ास मेरे क़ारर् त्य़ाग र्दय़ा, और रोजेद़ार को दो
िूशी प्ऱाप्त होगी, जब वह रोज़ा िोले़ा है, ेो अपऩा रोज़ा िोलने से िुश होे़ा
है, और जब अपने रब्ब से मुल़ाक़़ाे करेग़ा ेो अपने रोजे के क़ारर् िुश होग़ा
और अल्ल़ाह के प़ास रोजेद़ार के मुंह से र्नकलने व़ाली िुश्बू कस्ेूरी से अर्िक
िुश्बूद़ार होगी।" (सही मुहसलमैः 1151)
अब हुररा (रहजयल्लाहु अन्हु) से वर्मन ह हक रसल (सल्ल) ने फरमायाैः
तीन व्यहियों की दुआ सवीकाररत हैं। रोजेदार की दुआ और
हपहित व्यहि की दुआ और यात्री की दुआ। (सही अल-जाहमअैः
3030)
3- रोजेद़ार की दुआ स्वीक़ाररे होेी हैाः
ٍ‫ستجابات‬ ُ‫م‬ ٍ‫وات‬َ‫ع‬َ‫د‬
ُ
‫ثالث‬:‫املظ‬
ُ
‫ودعوة‬ ، ِ‫م‬ِ‫ئ‬‫الصا‬
ُ
‫دعوة‬
ُ
‫ودعوة‬ ، ِ‫وم‬
ُ
‫ل‬
ِ‫ر‬ِ‫ف‬‫املسا‬.(‫الجامع‬‫صحيح‬:3030)
अब्दुल्लाह हबन अम्र (रहज) से वर्मन हहक रसल (सल्ल) ने फरमायाैः रोजा और
कुरआन हकयामत के हदन भिों के हलए हशफाररस कऱेंगे। रोजा कहेगाैः “हे
रब्ब! मैं ने उसे हदन म़ें िाने और पीने से रोके रिा, तो मेरी हशफाररस उसके
प्रहत सवीकार कर ले, और कुरआन कहेगाैः मैं ने उसे रात म़ें हनन्द का मजा
लेने से रोके रिा, तो उस के प्रहत मेरी हशफाररस सवीकार कर, तो उन दोनों
की हशफाररस सवीकाररत होगी। (मुसनद अहमदैः 10/118, व सही अल-जाहमअैः 3882)
4- रोज़ा रोजेद़ार के र्लए र्शफ़ाररस करेग़ााः
‫النبي‬ ‫أن‬ ‫عمرو‬ ‫بن‬ ‫هللا‬ ‫عبد‬ ‫عن‬‫وسلم‬ ‫عليه‬ ‫هللا‬ ‫صلى‬‫قال‬:‫والقرآن‬ ‫الصيام‬
‫يوم‬ ‫للعبد‬ ‫يشفعان‬‫القيامة،يقول‬‫ا‬ ‫منعته‬ ‫رب‬ ‫أي‬ ‫الصيام‬‫لطعام‬
‫بالنهار‬ ‫والشهوات‬‫فشفعنى‬‫فيه‬.‫القرآن‬ ‫ويقول‬،‫بالليل‬ ‫النوم‬ ‫منعته‬
‫فشفعنى‬‫فيشفعان‬ ‫فيه‬.(‫رواه‬‫أحمد‬:10/118‫و‬‫الجامع‬ ‫صحيح‬:3882)
‫النبي‬ ‫أن‬‫وسلم‬ ‫عليه‬ ‫هللا‬ ‫صلى‬‫قال‬:ُ‫ة‬‫ثماني‬ ‫الجنة‬ ‫في‬‫ْواب‬‫ب‬‫أ‬،ٌ‫باب‬ ‫فيها‬
‫ى‬َّ‫م‬َ‫س‬ُ‫ي‬،َ‫َّان‬‫ي‬َّ‫الر‬‫إال‬ ُ‫ه‬ُ‫ل‬‫يدخ‬ ‫ال‬ِ‫ئ‬‫ا‬َّ‫ص‬‫ال‬َ‫ون‬ُ‫م‬.( .‫البخاري‬ ‫رواه‬:
3257)
नबी (सल्लल्लाहु अलहह व सल्लम) का किन हैः" जन्नत (सवगम) के द्वारों
की संखयाूँ आठ हैं, उन म़ें से एक द्वार का नाम रय्यान ह,
हजस से केवल रोजेदार ही प्रवेश कऱेंगे।" (सही बुिारीैः 3257)
5- जन्ने में रोजेद़ार के र्लए ि़ास
दरव़ाज़ााः
6- रमज़ान में उम्ऱा करने क़ा पुण्याः
उम्मे सुलैम ने रसूल (सल्ल) से र्गल़ा र्कय़ा र्क ऐ अल्ल़ाह के रसूल!
अबू ेल्ह़ा और उनक़ा बेट़ा मुझे छोड़ कर उम्ऱा के र्लए चले गए। ेो
आप (सल्ल) ने फरम़ाय़ााः ऐ उम्मे सुलैम! रमज़ान में उम्ऱा करने क़ा पुण्य
मेरे स़ाथ हज्ज करने के बऱाबर सव़ाब (पुण्य) र्मले़ा है।" (तरगीब व
तरहीबैः 177/2)
जब रमज़ान महीने की प्रथम ऱाे होेी है ेो सकि श र्जन्न और शैे़ान को
जकड़ र्दय़ा ज़ाे़ा है और जहन्नम (नरक) के द्व़ार बन्द कर र्दये ज़ाेे है, ेो
उसक़ा कोइ द्व़ार िुल़ा नहीं होे़ा और जन्ने (स्वगि) के द्व़ार िोल र्दये ज़ाेे हं
और उसक़ा कोइ द्व़ार बन्द नहीं होे़ा और अल्ल़ाह की ओर से प्रत्येक ऱाे
पुक़ारने व़ाल़ा पुक़ारे़ा हैाः हे! नेर्कयों के क़ाम करने व़ालो! पुण्य के क़ायों में
बढ़ चढ़ कर र्हस्स़ा लो, और हे! प़ापों के क़ाम करने व़ालों! अब ेो इस
पर्वत्र महीने में प़ापों से रुक ज़ा, और अल्ल़ाह नेकी करने व़ालों को प्रर्े ऱाे
जहन्नम (नरक) से मुर्ि देे़ा है। (सही उल ज़ार्मअाः अलब़ानीाः759)
7- रमज़ान में स्वगि के द्व़ार िोल र्दये ज़ाेे हं:
ِ‫الجن‬ ُ‫ة‬‫د‬َ‫ر‬َ‫م‬‫و‬ ُ‫ن‬‫الشياطي‬ ِ‫ت‬َ‫د‬ِ‫ف‬ُ‫ص‬ َ‫رمضان‬ ِ‫شهر‬ ‫من‬ ٍ‫ة‬‫ليل‬ ُ‫ل‬‫أو‬ ‫كان‬ ‫إذا‬ِ‫النار‬ ُ‫أبواب‬ ْ‫قت‬ِ‫ل‬ُ‫غ‬‫و‬ ،
‫با‬ ‫منها‬ ْ‫غلق‬ُ‫ي‬ ‫فلم‬ ِ‫ة‬‫الجن‬ ُ‫أبواب‬ ْ‫ت‬َ‫ح‬ِ‫ت‬ُ‫ف‬‫و‬ ، ٌ‫باب‬ ‫منها‬ ْ‫فتح‬ُ‫ي‬ ‫فلم‬ٍ‫ة‬‫ليل‬ َّ‫ل‬‫ك‬ ٍ‫د‬‫منا‬ ‫نادي‬ُ‫ي‬‫و‬ ، ٌ‫ب‬:‫يا‬
ِ‫النار‬ ‫من‬ ُ‫ء‬‫عتقا‬ ِ‫هلل‬‫و‬ ، ْ‫صر‬ْ‫ق‬‫أ‬ ِ‫الشر‬ َ‫باغي‬ ‫ويا‬ ، ْ‫أقبل‬ ِ‫الخير‬ َ‫باغي‬َّ‫ل‬‫ك‬ ‫وذلك‬ ،ٍ‫ة‬‫ليل‬( .‫صحيح‬
‫الجامع‬:759)
‫هريرة‬ ‫أبي‬ ‫وعن‬:‫النبي‬ ‫أن‬‫وسلم‬ ‫عليه‬ ‫هللا‬ ‫صلى‬‫قال‬:‫الصلوات‬
‫إلى‬ ‫والجمعة‬ ‫الخمس‬‫الجمعة،ورمضان‬‫رمضان‬ ‫إلى‬
‫بينهن‬ ‫لما‬ ‫مكفرات‬‫الكبائر‬ ‫اجتنبت‬ ‫إذا‬.(‫رواه‬‫مسلم‬)
8- रम़ाजन से दुसरे रमज़ान ेक गुऩाहों से क्षम़ा है:
अबू हुरैऱा (रर्ज) से वर्िन है र्क रसूल (सल्लल्ल़ाहु अर्लह व सल्लम) ने
फरम़ाय़ााः “ प़ांच समय की फजि नम़ाजें और जुम़ा से दुसरे
जुम़ा ेक और रमज़ान से दुसरे रमज़ान ेक नेक क़ायि गुऩाहों
के र्लए प्ऱायर्िे हं, जब ेक र्क मह़ाप़ापों से बच़ा ज़ाए।”
(सही मुहसलमैः 233)
9- रमज़ान क़ु रआन के अवेरर् क़ा महीऩा:
ُ‫ر‬ْ‫ه‬َ‫ش‬‫ي‬ِ‫ف‬ َ‫ل‬ ِ‫نز‬ُ‫أ‬ ‫ي‬ِ‫ذ‬َّ‫ل‬‫ا‬ َ‫ان‬َ‫ض‬َ‫م‬َ‫ر‬َّ‫ن‬‫ل‬ِ‫ل‬ ‫ًى‬‫د‬ُ‫ه‬ ُ‫آن‬ْ‫ر‬ُ‫ق‬ْ‫ل‬‫ا‬ ِ‫ه‬ِ‫اس‬
ٰ‫َى‬‫د‬ُ‫ه‬ْ‫ل‬‫ا‬ َ‫ن‬ِ‫م‬ ‫ات‬َ‫ن‬ِ‫ي‬َ‫ب‬َ‫و‬ْ‫ر‬ُ‫ف‬ْ‫ل‬‫ا‬َ‫و‬ِ‫ان‬َ‫ق‬.(‫البقرة‬ ‫سورة‬:185)
रमज़ान क़ा महीऩा वह है, र्जस में
क़ु रआन उे़ाऱा गय़ा, जो सब म़ानव के
म़ागिदशिन है। ेथ़ा म़ागिदशिन और सत्य-
असत्य के बीच अन्ेर करने क़ा िुल़ा
प्रम़ार् रिे़ा है। (अल्-बकऱााः 185)
10- रमज़ान की एक ऱाे हज़ार महीनों की ऱाेों
से उत्तम हैाः
हमने इसे क़द्र की ऱाे में अवेररे र्कय़ा-और ेुम्हें
क्य़ा म़ालूम र्क क़द्र की ऱाे क्य़ा है?, क़द्र की ऱाे
हज़ार महीनों की ऱाेों से उत्तम है। (सूरह अल्क़द्राः 1-3)
रमज़ान महीने क़ा
स्व़ागे कै से करें ?
1- सब से पहले अल्ल़ाह क़ा शुक्र और उसकी
े़ारीफ और प्रशंस़ा के म़ाध्यम से स्व़ागे करें:
अल्ल़ाह ने अपऩा शुक्र अद़ा करने क़ा आदेश र्दय़ा है।
ْ‫ذ‬ِ‫إ‬َََ‫و‬ ْ‫م‬ُ‫ك‬َّ‫ن‬َ‫د‬‫ي‬ ِ‫ألز‬ ْ‫م‬ُ‫ت‬ْ‫َر‬‫ك‬َ‫ش‬ ْ‫ن‬ِ‫ئ‬َ‫ل‬ ْ‫م‬ُ‫ك‬ُّ‫ب‬َ‫ر‬ َ‫ن‬َّ‫ذ‬َ‫أ‬َ‫ت‬َّ‫ن‬ِ‫إ‬ ْ‫م‬ُ‫ت‬ْ‫ر‬َ‫ف‬َ‫ك‬ ْ‫ن‬ِ‫ئ‬َ‫ل‬‫ي‬ِ‫ب‬‫ا‬َ‫ذ‬َ‫ع‬‫ِيد‬‫د‬َ‫ش‬َ‫ل‬.
[‫إبراهيم‬:7]
जब ेुम्ह़ारे रब ने सूर्चे कर र्दय़ा थ़ा र्क “ यर्द ेुम
कृ ेज्ञ हुए ेो मं ेुम्हें और अर्िक दूूँग़ा, परन्ेु यर्द
ेुम अकृ ेज्ञ र्सद्ध हुए ेो र्निय ही मेरी य़ाेऩा भी
अत्यन्े कठोर है।" (सूरह इब्ऱाहीमाः 7)
2- एक दुसरों को रमज़ान की मुब़ारक ब़ाद दें, लोगों को भल़ाइ
के क़ायि पर उत्स़ार्हे करेे हुए, दुआऐंदेेे हुए स्व़ागे करें:
रसूल (सल्ल) ने अपने स़ार्थयों को शुभ िबर देेे हुए फरम़ाय़ा हैाः"
ेुम्ह़ारे प़ास रमज़ान क़ा महीऩा आय़ा है, यह बरके व़ाल़ा महीऩा
है, अल्ल़ाह ेआल़ा की रहमेें ेुम्हें इस महीने में ढ़़ाप लेंगी, वह
रहमेें उे़ारे़ा है, प़ापों को र्मट़ाे़ा है और दुआ स्वीक़ार करे़ा है
और इस महीने में ेुम लोगों क़ा आपस में इब़ादेों में बढ़ चढ़ कर
भ़ाग लेने को देिे़ा है, ेो फररश्ेों के प़ास ेुम्ह़ारी े़ारीफ और
प्रशंस़ा बय़ान करे़ा है, ेो ेुम अल्ल़ाह को अच्छे क़ाये करके
र्दि़ाओ, र्नाःसन्देह बदबख्े वह है जो इस महीने की रहमेों से
वंर्चे रहे।” ( अल–ेबऱानी)
3- रमज़ान में नेक कमि करने क़ा दृढ़ संकल्प
और पुख्े़ा इऱाद़ा करेे हुए स्व़ागे करें:
आप पुख्े़ा इऱाद़ा कर लें र्क इस पर्वत्र महीने में ज़्जय़ाद़ा से ज़्जय़ाद़ा पुण्य
क़ा क़ाम करेंगे, इस पूरे महीने क़ा रोज़ा रिेंगे, नम़ाजों और अल्ल़ाह के
र्जक्रो अज़्जक़ार, र्ेल़ावेे कु रआन में अपऩा पुऱा समय लग़ाऐंगे, लोगों
की भल़ाई और कल्य़ार् के क़ायि मे भ़ाग लेंगे।
नबी (सल्ल) ने फरम़ाय़ााः"र्नाःसंदेह कमों संकल्प (हृदय की
ईच्छ़ा) पर आि़ाररे है और प्रर्े व्यर्ि के संकल्प के
आि़ार पर अच्छे य़ा बुरे कमों क़ा बदल़ा र्मलेग़ा।........"
(सही बुि़ारीाः 1)
‫ن‬َّ‫ي‬‫ب‬ َّ‫م‬‫ث‬ ِ‫ت‬‫ئا‬ِِّ‫ي‬َّ‫س‬‫وال‬ ِ‫ت‬‫الحسنا‬ ‫كتب‬ َ‫هللا‬ َّ‫ن‬‫إ‬،‫ذلك‬‫ب‬ َّ‫م‬‫ه‬ ‫فمن‬‫له‬ ُ‫هللا‬ ‫كتبها‬ ‫ها‬ْ‫ل‬َ‫م‬‫يع‬ ‫فلم‬ ٍ‫ة‬‫حسن‬
ً‫حسنة‬ ‫عنده‬‫،فإن‬ً‫كاملة‬‫حسنا‬ َ‫عشر‬ ‫عنده‬ ‫له‬ ُ‫هللا‬ ‫كتبها‬ ‫لها‬ِ‫وعم‬ ‫بها‬ َّ‫م‬‫ه‬ ‫هو‬ِ‫ة‬‫مائ‬ِ‫ع‬‫سب‬ ‫إلى‬ ٍ‫ت‬
ٍ‫أضعاف‬ ‫إلى‬ ٍ‫ضعف‬،ٍ‫ة‬‫كثير‬ُ‫هللا‬ ‫كتبها‬ ‫ها‬ْ‫ل‬َ‫م‬‫يع‬ ‫فلم‬ ٍ‫ة‬‫ئ‬ِِّ‫ي‬‫بس‬ َّ‫م‬‫ه‬ ‫ومن‬ً‫حسنة‬ ‫عنده‬ ‫له‬،ً‫كاملة‬
‫فإن‬‫هو‬ً‫ئة‬ِِّ‫ي‬‫س‬ ‫له‬ ُ‫هللا‬ ‫كتبها‬ ‫لها‬ِ‫فعم‬ ‫بها‬ َّ‫م‬‫ه‬ً‫ة‬‫واحد‬.(‫البخاري‬:7691‫ومسلم‬:131)
नेकीकरनेकेसंकल्पपरबदल़ाऔरबुऱाइन
करनेपरभीनेकीअंर्केर्कय़ाज़ाे़ाहैाः
बेशक अल्ल़ाह ने नेर्कयों और प़ापों को र्लि र्दय़ा है और उनके प्रर्े
स्पष्ट भी कर र्दय़ा है। ेो जो व्यर्ि र्कसी के करने क़ा संकल्प करे़ा है
परन्ेु र्कसी उर्चे क़ारर् के उस नेकी को कर नहीं प़ाे़ा ेो अल्ल़ाह
उसके र्लए अपने प़ास नेकी र्लि लेे़ा है, और यर्द कोइ नेकी करने क़ा
इच्छ़ा करे़ा और र्फर वह नेकी कर भी लेे़ा है ेो अल्ल़ाह उसके र्लए
अपने प़ास दस नेकी से बढ़़ा कर स़ाे सो से दुग्ऩा और र्फर बहुे ज़्जय़ाद़ा
दुगऩा ेीनगुन्ऩा बढ़़ाे़ा है। परन्ेु र्जस ने र्कसी प़ाप के करने क़ा इच्छ़ा
र्कय़ा और वह प़ाप कर न सक़ा ेो अल्ल़ाह उस के र्लए अपने प़ास पूरी
नेकी र्लि लेे़ा है। और यर्द उसने र्कसी प़ाप के करने क़ा संकल्प
र्कय़ा और र्फर वह प़ाप कर भी लेे़ा है ेो अल्ल़ाह उस के र्लए अपने
प़ास एक प़ाप र्लि लेे़ा है। (सही बुि़ारीाः 7691 व सही मुर्स्लमाः 131)
4- रमज़ान क़ा स्व़ागे गुऩाहों से ेौब़ा
और जहन्नम से मुर्ि म़ांगेे हुए करें:
अल्ल़ाह ेआल़ा ने गुऩाहों से ेौब़ा करने क़ा आज्ञ़ा र्दय़ा है और
बेशक ेौब़ा करने व़ाले लोग सफलपूविक होंगेाः" ऐ ईम़ानव़ालों,
ेुम सब र्मलकर अल्ल़ाह से ेौब़ा करो, आश़ा है र्क सफले़ा
प्ऱाप्त करोगे। ” (सूऱा अन्नूराः 31)
ऐ ईम़ान ल़ानेव़ाले! अल्ल़ाह के आगे ेौब़ा करो, र्वशुद्ध
ेौब़ा। बहुे सम्भव है र्क ेुम्ह़ाऱा रब ेुम्ह़ारी बुऱाइय़ाूँ
ेुमसे दूर कर दे और ेुम्हें ऐसे ब़ागों में द़ाऱ्िल करे र्जनके
नीचे नहरे बह रही होंगी। (66-सरह अत्तहरीमैः 8)
रमज़ान का महत्व और उसका स्वागत
5- रमज़ान क़ा स्व़ागे अपने बहुमूल्य समय की
सही योजऩा बऩा कर करें:
रमज़ान के महीने के समय को मुनज़्जजम
करले र्क फजर की नम़ाज से पहले उठकर
सेहरी िऩा है र्फर नम़ाज पढ़ कर कु रआन
की र्ेल़ावे करऩा है। र्दन ऱाे के समय
को र्वर्भन्न क़ायों, इब़ादेों और जरूरी
क़ामों में ब़ांट दें। े़ार्क समय नष्ट न हो
और पूरे समय क़ा सही उपयोग हो सके ।
बेक़ार की गप शप से दूर रह़ा ज़ाए। े़ार्क
पूऱा रमज़ान क़ा महीऩा इब़ादेों में बीेे।
6- रमज़ान के महीने क़ा स्व़ागे रोजे के अहक़ाम
क़ा र्सक्ष़ा ले कर करें:
रमज़ान में र्कन चीजो के करने से रोज़ा िऱाब हो ज़ाे़ा
है? र्कन चीजो के करने से कु छ नही होे़ा? कौन स़ा क़ाम
और इब़ादेें करऩा च़ार्हये और कै से करन च़ार्हये ?,
कौन स़ा क़ाम रोजे की र्स्ेर्थ में नहीं करऩा च़ार्हये ?,
रमज़ान में कौन स़ा क़ायि अल्ल़ाह को सब से ज़्जय़ाद़ा र्प्रय
है?, रसूल (सल्ल) रमज़ान क़ा महीऩा कै से गुज़ारेे थे ?,
इन सब चीजों क़ा ज्ञ़ान लेऩा जरूरी है। े़ार्क रमज़ान
महीने को अच्छे ेरीके से गुज़ाऱा ज़ाए, रमज़ान महीने की
बरकेों और रहमेों को प्ऱाप्त र्कय़ा ज़ा सके ।
7- रमज़ान में लोगों के लेन देन और हुकू क और
अर्िक़ार को पूऱा करके स्व़ागे करें:
एक र्दन रसूल (सल्ल) ने अपने स़ार्थयों से पूछ़ााःक्य़ा ेुम ज़ानेे हो
मुर्ललस र्कसे कहेे हं?, लोगों ने कह़ा: हम़ारे बीच मुर्ललस उसे
समझ़ा ज़ाे़ा है, र्जसके प़ास स़ाम़ान और रुपय न हों। आपने (सल्ल) ने
फरम़ाय़ााः कल क्य़ामे के र्दन मुर्ललस वह होग़ा जो नम़ाज, रोजे,
और जक़ाे के स़ाथ आएग़ा, लेर्कन र्कसी को ग़ाली दी होगी,
र्कसी पर (व्यभीच़ार क़ा) आरोप लग़ाय़ा होग़ा, र्कसी क़ा म़ाल
ि़ाय़ा होग़ा, र्कसी क़ा िून बह़ाय़ा होग़ा, इस प्रक़ार उसकी नेर्कय़ाूँ
एक एक कर के हक़द़ारों को दे दी ज़ाएंगी, जब उसकी नेर्कय़ां सम़ाप्त
हो ज़ाएंगी और अभी हक़द़ार ब़ाक़ी रह ज़ाएंगे ेो हक़द़ारों के प़ाप
उसके सर थोप र्दए ज़ाएंगे। र्फर उसे नरक में ड़ाल र्दय़ा ज़ाए।
(सही मुर्स्लमाः 2581)
8- हृदय को दुश्मनी, कीऩा कपट, और
हसद-जलन से पर्वत्र रि कर करें:
रसूल (सल्लल्ल़ाहु अलैर्ह व सल्लम) ने फरम़ाय़ााः बन्दों के कमि
सोमव़ार और शुक्रव़ार को अल्ल़ाह के प़ास पेश र्कये
ज़ाेे हं, ेो अल्ल़ाह अज़्जज व जल्ल हर उस बन्दे को म़ाफ
कर देे़ा है, जो अल्ल़ाह के स़ाथ र्शकि न र्कय़ा हो
र्सव़ाए उस म़ानव को र्जस के और उस के भ़ाई के
बीच कीऩा कपट और दुशमनी हो, ेो कह़ा ज़ाे़ा है,
इन दोनों को छोड़ दो, यह़ाूँ ेक र्क दोनों सुलह सफ़ाई
करले, इन दोनों को छोड़ दो यह़ाूँ ेक र्क दोनो सुलह
सफ़ाई करले।” (सही मुहसलम)
रसूल (सल्ल) ने फरम़ाय़ााः"अल्ल़ाह पर्वत्र है और पर्वत्र वस्ेु को स्वीक़ार
करे़ा है और बेशक अल्ल़ाह मुसलम़ानों को उन्हीं चीजों के करने क़ा आदेश
देे़ा है, र्जन चीजों के करने क़ा रसूलों को आज्ञ़ा देे़ा है, ेो अल्ल़ाह ने
फरम़ाय़ााः ऐ रसूलों! पर्वत्र वस्ेुओंको ि़ाओ और अच्छ़ा कमि करो, और
मूर्मनों से फरम़ाय़ााः ऐ मूर्मनों! उन पर्वत्र चीजों को ि़ाओ जो हमने ेुमहें
रोजी दे रिी है, और रसूल (सल्ल) ने एक आदमी की उद़ाहरर् देेे हुए कह़ााः
एक आदमी लम्ब़ा य़ात्ऱा करे़ा है, उस के र्बिरे हुए ब़ाल, िूल से अट़ा हुआ
शरीर, और अपने दोनों ह़ाथों को आक़ाश की ओर उठ़ाेे हुए कहे़ा हैाः ऐ रब्ब,
ऐ रब्ब, ह़ाल़ाूँर्क उसक़ा ि़ाऩा हऱाम की कम़ाई से होे़ा है, उसक़ा पीऩा हऱाम
की कम़ाई से होे़ा है, उसक़ा पोश़ाक हऱाम की कम़ाई क़ा है, और पूरी जीवन
हऱाम ि़ाेे हुए गुजऱा ेो र्फर उस की दुआ क्यों कर स्वीक़ाररे होगी।
9- हल़ाल कम़ाइ से जीवन व्येीे करेे
हुए रमज़ान क़ा स्व़ागे करें:
(सही मुर्स्लमाः 1015)
रमज़ान क़ा स्व़ागे इस्ल़ामी र्नमन्त्रर् के म़ाध्यम से करेाः
जहन्नम (नरक) से मुर्ि और जन्ने (स्वगि) में द़ार्िल होने क़ा ऱास्े़ा के वल इस्ल़ाम ही है।
इस र्लए र्जस प्रक़ार अल्ल़ाह ने सही ऱास्े़ा चयन करने की शर्ि दी और कोइ दुसऱा भ़ाई
इस म़ाध्यम बऩा ेो आप भी अपने दुसरे गैर मुर्स्लमों के इस्ल़ाम स्वीक़ार करने क़ा म़ाध्यम
बने। ेो अल्ल़ाह आप को बेर्हस़ाब नेर्कय़ाूँ देग़ा।
‫بك‬ ُ‫هللا‬ َ‫يهدي‬ ‫ن‬َ‫أل‬ ‫فوهللا‬ ،‫فيه‬ ِ‫هللا‬ ِ‫حق‬ ‫من‬ ‫عليهم‬ ُ‫يجب‬ ‫بما‬ ‫هم‬ ْ‫وأخبر‬ ،ِ‫اإلسالم‬ ‫إلى‬ ‫هم‬ُ‫ع‬‫اد‬ً‫ال‬‫رج‬،ً‫ا‬‫واحد‬‫من‬ ‫لك‬ ٌ‫خير‬
‫أن‬‫لك‬ َ‫يكون‬ُ‫ر‬ْ‫م‬ُ‫ح‬ِ‫م‬َ‫ع‬َّ‫ن‬‫ال‬( .‫البخاري‬ ‫صحيح‬:4210)
नबी(सल्ल) ने अली(रर्ज) से फरम़ाय़ााः उन्हें इस्ल़ाम की ओर र्नमन्त्रर् करो, अल्ल़ाह ने जो उन
पर अर्नव़ायि र्कय़ा है,उन से उन्हें सूर्चे करो,ेो अल्ल़ाह की कसमाःेुम्ह़ारे म़ाध्यम से
अल्ल़ाह एक व्यर्ि को सही म़ागिदशिन कर दे, ेो यह ेुम्ह़ारे र्लए ल़ाल ऊं ट से उत्तम है। (सही
बुि़ारीाः 4210)
इस पाठ म़ें आप की उपहसिहत पर हम
आपका हाहदमक धन्यवाद कहते हैं।
अल्लाह आप के जीवन म़ें प्रत्येक प्रकार
की िुशी लाए और दुहनया और
आहिरत म़ें सफलता दे। आमीन
रमज़ान का महत्व और उसका स्वागत
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रमज़ान का महत्व और उसका स्वागत

  • 2. रमज़ान करीम की ह़ार्दिक शुभ क़ामऩा पेश करेे हं। हम आप को मुहम्मद श़ाहनव़ाज
  • 3. शव्वाल रजब रबीउल आर्िर मुहरमम जुल्काइदा शअबान जमादुल अव्वल सफर जुल्-हहज्जा रमजान जमादुल आहिर रबीउल अव्वल  यर्द आक़ाश में ब़ादल हो ेो शअब़ान के पूरे 30 र्दन पुऱा करेंगे। आशंक़ा के र्दन क़ा रोज़ा नहीं रिेंगे।
  • 4. रोज़ा (व्रे) की पररभ़ाष़ााः " रुकऩा " , अल्लाह का फरमान हैः ِ‫ن‬ٰ‫ـ‬َ‫م‬ْ‫ح‬َّ‫لر‬ِ‫ل‬ ُ‫ت‬ ْ‫ر‬َ‫ذ‬َ‫ن‬ ‫ي‬ِِّ‫ن‬ِ‫إ‬ ‫ي‬ِ‫ل‬‫و‬ُ‫ق‬َ‫ف‬‫ا‬ َ‫م‬ِِّ‫ل‬َ‫ك‬ُ‫أ‬ ْ‫ن‬َ‫ل‬َ‫ف‬ ‫ا‬ً‫م‬ ْ‫و‬َ‫ص‬َ‫م‬ ْ‫و‬َ‫ي‬ْ‫ل‬‫ًّا‬‫ي‬ِ‫س‬‫ن‬ِ‫إ‬. (‫مريم‬ ‫سورة‬:26) रोजा मैंने तो रहमान के हलए रोजे की मन्नत मानी ह। इसहलए मैं आज हकसी मनुष्य से न बोलूँगी।“ (सरह मयममैः 26) रोज़ा की इस्ल़ामी पररभ़ाष़ााः सुबह स़ार्दक से ले कर सूयि के डुबने ेक ि़ाने–पीने ेथ़ा संभोग से रुके रहऩा, रोज़ा कहल़ाे़ा है।
  • 5. रोजा की हकसमेैः फजम सुन्नत सुन्नत रोज़ें बहुत से हैं। जसे शव्वाल के 6 रोज़ें, हजहल्हज्जा का रोजा, दसवी मुहरमम, प्रत्येक सोमवार और बृहसपहतवार का रोजा और प्रत्येक महीने 13,14 और 15 हतहि का रोजा इत्याहद
  • 7. अल्ल़ाह ने रमज़ान के रोजे की अर्नव़ायिे़ा क़ा वर्िन कु रआन में र्कय़ा है। ُ‫ك‬ْ‫ي‬َ‫ل‬َ‫ع‬ َ‫ب‬ِ‫ت‬ُ‫ك‬ ‫وا‬ُ‫ن‬َ‫م‬‫آ‬ َ‫ِين‬‫ذ‬َّ‫ل‬‫ا‬ ‫ا‬َ‫ه‬ُّ‫ي‬َ‫أ‬ ‫ا‬َ‫ي‬َ‫ع‬ َ‫ب‬ِ‫ت‬ُ‫ك‬ ‫ا‬َ‫م‬َ‫ك‬ ُ‫م‬‫ا‬َ‫ي‬ِّ ِ‫الص‬ ُ‫م‬‫ى‬َ‫ل‬ ْ‫م‬ُ‫ك‬َّ‫ل‬َ‫ع‬َ‫ل‬ ْ‫م‬ُ‫ك‬ِ‫ل‬ْ‫ب‬َ‫ق‬ ‫ن‬ِ‫م‬ َ‫ِين‬‫ذ‬َّ‫ل‬‫ا‬ُ‫ق‬َّ‫ت‬َ‫ت‬َ‫ون‬‫البقرة‬:١٨٣﴾ ईम़ान ल़ाने व़ालो! ेुम पर रोजे अर्नव़ायि र्कए गए, र्जस प्रक़ार ेुम से पहले के लोगों पर अर्नव़ायि र्कए गए थे, े़ार्क ेुम डर रिने व़ाले बन ज़ाओ। (सूरह अलबक़ऱााः 183)
  • 8. रमजान के महीने का रोजा हर मुहसलम, बाहलग, बुहिमान पुरुष और स्री पर अहनवायम ह। रमज़ान क़ा रोज़ा र्कन लोगों पर अर्नव़ायि है ?
  • 10. रमज़ान क़ा रोज़ा इस्ल़ाम क़ा चौथ़ा स्ेम्भ हैाः 1- कलम़ा शह़ाद़ाे की गव़ाही देऩा 2- नम़ाज क़ायम करऩा 3- शर्ि होने के क़ारर् प्रर्े वषि जक़ाे देऩा 4- रमज़ान महीने क़ा रोज़ा रिऩा 5- शर्ि होने के क़ारर् जीवन में एक ब़ार क़ाब़ा शरीफ क़ा हज्ज करऩा
  • 11. ‫هريرة‬ ‫أبى‬ ‫وعن‬‫عنه‬ ‫هللا‬ ‫رضي‬‫قال‬:‫هللا‬ ‫رسول‬ ‫قال‬‫وس‬ ‫عليه‬ ‫هللا‬ ‫صلى‬‫لم‬:‫من‬ ‫هللا‬ ‫غفر‬ ً‫ا‬‫واحتساب‬ ً‫ا‬‫إيمان‬ ‫رمضان‬ ‫صام‬‫ذ‬ ‫من‬ ‫ماتقدم‬ ‫له‬‫نبه‬. (‫مسلم‬ ‫وصحيح‬ ‫البخاري‬ ‫صحيح‬) 1- क्षम़ा क़ा महीऩााः रसूल (सल्लल्ल़ाहु अलैर्ह वसल्लम) ने फरम़ाय़ााः" जो व्यर्ि रमज़ान महीने क़ा रोज़ा अल्ल़ाह पर र्वश्व़ास ेथ़ा पुण्य की आश़ा करेे हुए रिेग़ा, उसके र्पछ्ले सम्पूर्ि प़ाप क्षम़ा कर र्दये ज़ाएंगे।" (बुिारी तिा मुहसलम)
  • 12. ‫كل‬ِ‫ة‬‫سبعمائ‬ ‫إلى‬ ‫أمثالها‬ َ‫ة‬‫عشر‬ َ‫الحسنة‬ ُ‫ضاعف‬ُ‫ي‬ َ‫م‬‫آد‬ ِ‫ابن‬ ِ‫ل‬‫عم‬‫ضعف‬.ُ‫هللا‬ ‫قال‬ َّ‫عز‬َّ‫ل‬‫وج‬:‫إال‬ُ‫م‬‫الصو‬.‫أجزي‬ ‫وأنا‬ ‫لي‬ ُ‫ه‬َّ‫ن‬‫فإ‬ِ‫ه‬‫ب‬.‫شهو‬ ُ‫ع‬َ‫د‬َ‫ي‬‫من‬ ‫ه‬َ‫م‬‫وطعا‬ ‫ه‬َ‫ت‬‫أجلي‬. ِ‫للصائم‬ِ‫فرحتان‬:‫عند‬ ٌ‫فرحة‬ٌ‫فرحة‬ ،‫ه‬ ِ‫فطر‬ِ‫لقاء‬ ‫عند‬ِ‫ه‬ِ‫رب‬.ُ‫أطيب‬ ِ‫ه‬‫في‬ ٌ‫لوف‬ُ‫خ‬‫ول‬ ِ‫ريح‬ ‫من‬ ِ‫هللا‬ ‫عند‬ِ‫المسك‬."(‫مسلم‬ ‫صحيح‬:1151) 2- रोजेद़ार को असीर्मे पुण्य र्दय़ा ज़ाे़ा हैाः "म़ानव के प्रत्येक कमि क़ा बदल़ा एक से ले कर दस और र्फर स़ाे सो से अर्िक दुग्ऩा र्कय़ा ज़ाे़ा है। अल्ल़ाह अज़्जज व जल्ल कहे़ा है र्सव़ाए रोज़ा के , बेशक रोज़ा मेरे र्लए है और उसक़ा बदल़ा के वल मं ही दूूँग़ा। क्योंर्क उसने अपऩा ि़ाऩा पीऩा और सहव़ास मेरे क़ारर् त्य़ाग र्दय़ा, और रोजेद़ार को दो िूशी प्ऱाप्त होगी, जब वह रोज़ा िोले़ा है, ेो अपऩा रोज़ा िोलने से िुश होे़ा है, और जब अपने रब्ब से मुल़ाक़़ाे करेग़ा ेो अपने रोजे के क़ारर् िुश होग़ा और अल्ल़ाह के प़ास रोजेद़ार के मुंह से र्नकलने व़ाली िुश्बू कस्ेूरी से अर्िक िुश्बूद़ार होगी।" (सही मुहसलमैः 1151)
  • 13. अब हुररा (रहजयल्लाहु अन्हु) से वर्मन ह हक रसल (सल्ल) ने फरमायाैः तीन व्यहियों की दुआ सवीकाररत हैं। रोजेदार की दुआ और हपहित व्यहि की दुआ और यात्री की दुआ। (सही अल-जाहमअैः 3030) 3- रोजेद़ार की दुआ स्वीक़ाररे होेी हैाः ٍ‫ستجابات‬ ُ‫م‬ ٍ‫وات‬َ‫ع‬َ‫د‬ ُ ‫ثالث‬:‫املظ‬ ُ ‫ودعوة‬ ، ِ‫م‬ِ‫ئ‬‫الصا‬ ُ ‫دعوة‬ ُ ‫ودعوة‬ ، ِ‫وم‬ ُ ‫ل‬ ِ‫ر‬ِ‫ف‬‫املسا‬.(‫الجامع‬‫صحيح‬:3030)
  • 14. अब्दुल्लाह हबन अम्र (रहज) से वर्मन हहक रसल (सल्ल) ने फरमायाैः रोजा और कुरआन हकयामत के हदन भिों के हलए हशफाररस कऱेंगे। रोजा कहेगाैः “हे रब्ब! मैं ने उसे हदन म़ें िाने और पीने से रोके रिा, तो मेरी हशफाररस उसके प्रहत सवीकार कर ले, और कुरआन कहेगाैः मैं ने उसे रात म़ें हनन्द का मजा लेने से रोके रिा, तो उस के प्रहत मेरी हशफाररस सवीकार कर, तो उन दोनों की हशफाररस सवीकाररत होगी। (मुसनद अहमदैः 10/118, व सही अल-जाहमअैः 3882) 4- रोज़ा रोजेद़ार के र्लए र्शफ़ाररस करेग़ााः ‫النبي‬ ‫أن‬ ‫عمرو‬ ‫بن‬ ‫هللا‬ ‫عبد‬ ‫عن‬‫وسلم‬ ‫عليه‬ ‫هللا‬ ‫صلى‬‫قال‬:‫والقرآن‬ ‫الصيام‬ ‫يوم‬ ‫للعبد‬ ‫يشفعان‬‫القيامة،يقول‬‫ا‬ ‫منعته‬ ‫رب‬ ‫أي‬ ‫الصيام‬‫لطعام‬ ‫بالنهار‬ ‫والشهوات‬‫فشفعنى‬‫فيه‬.‫القرآن‬ ‫ويقول‬،‫بالليل‬ ‫النوم‬ ‫منعته‬ ‫فشفعنى‬‫فيشفعان‬ ‫فيه‬.(‫رواه‬‫أحمد‬:10/118‫و‬‫الجامع‬ ‫صحيح‬:3882)
  • 15. ‫النبي‬ ‫أن‬‫وسلم‬ ‫عليه‬ ‫هللا‬ ‫صلى‬‫قال‬:ُ‫ة‬‫ثماني‬ ‫الجنة‬ ‫في‬‫ْواب‬‫ب‬‫أ‬،ٌ‫باب‬ ‫فيها‬ ‫ى‬َّ‫م‬َ‫س‬ُ‫ي‬،َ‫َّان‬‫ي‬َّ‫الر‬‫إال‬ ُ‫ه‬ُ‫ل‬‫يدخ‬ ‫ال‬ِ‫ئ‬‫ا‬َّ‫ص‬‫ال‬َ‫ون‬ُ‫م‬.( .‫البخاري‬ ‫رواه‬: 3257) नबी (सल्लल्लाहु अलहह व सल्लम) का किन हैः" जन्नत (सवगम) के द्वारों की संखयाूँ आठ हैं, उन म़ें से एक द्वार का नाम रय्यान ह, हजस से केवल रोजेदार ही प्रवेश कऱेंगे।" (सही बुिारीैः 3257) 5- जन्ने में रोजेद़ार के र्लए ि़ास दरव़ाज़ााः
  • 16. 6- रमज़ान में उम्ऱा करने क़ा पुण्याः उम्मे सुलैम ने रसूल (सल्ल) से र्गल़ा र्कय़ा र्क ऐ अल्ल़ाह के रसूल! अबू ेल्ह़ा और उनक़ा बेट़ा मुझे छोड़ कर उम्ऱा के र्लए चले गए। ेो आप (सल्ल) ने फरम़ाय़ााः ऐ उम्मे सुलैम! रमज़ान में उम्ऱा करने क़ा पुण्य मेरे स़ाथ हज्ज करने के बऱाबर सव़ाब (पुण्य) र्मले़ा है।" (तरगीब व तरहीबैः 177/2)
  • 17. जब रमज़ान महीने की प्रथम ऱाे होेी है ेो सकि श र्जन्न और शैे़ान को जकड़ र्दय़ा ज़ाे़ा है और जहन्नम (नरक) के द्व़ार बन्द कर र्दये ज़ाेे है, ेो उसक़ा कोइ द्व़ार िुल़ा नहीं होे़ा और जन्ने (स्वगि) के द्व़ार िोल र्दये ज़ाेे हं और उसक़ा कोइ द्व़ार बन्द नहीं होे़ा और अल्ल़ाह की ओर से प्रत्येक ऱाे पुक़ारने व़ाल़ा पुक़ारे़ा हैाः हे! नेर्कयों के क़ाम करने व़ालो! पुण्य के क़ायों में बढ़ चढ़ कर र्हस्स़ा लो, और हे! प़ापों के क़ाम करने व़ालों! अब ेो इस पर्वत्र महीने में प़ापों से रुक ज़ा, और अल्ल़ाह नेकी करने व़ालों को प्रर्े ऱाे जहन्नम (नरक) से मुर्ि देे़ा है। (सही उल ज़ार्मअाः अलब़ानीाः759) 7- रमज़ान में स्वगि के द्व़ार िोल र्दये ज़ाेे हं: ِ‫الجن‬ ُ‫ة‬‫د‬َ‫ر‬َ‫م‬‫و‬ ُ‫ن‬‫الشياطي‬ ِ‫ت‬َ‫د‬ِ‫ف‬ُ‫ص‬ َ‫رمضان‬ ِ‫شهر‬ ‫من‬ ٍ‫ة‬‫ليل‬ ُ‫ل‬‫أو‬ ‫كان‬ ‫إذا‬ِ‫النار‬ ُ‫أبواب‬ ْ‫قت‬ِ‫ل‬ُ‫غ‬‫و‬ ، ‫با‬ ‫منها‬ ْ‫غلق‬ُ‫ي‬ ‫فلم‬ ِ‫ة‬‫الجن‬ ُ‫أبواب‬ ْ‫ت‬َ‫ح‬ِ‫ت‬ُ‫ف‬‫و‬ ، ٌ‫باب‬ ‫منها‬ ْ‫فتح‬ُ‫ي‬ ‫فلم‬ٍ‫ة‬‫ليل‬ َّ‫ل‬‫ك‬ ٍ‫د‬‫منا‬ ‫نادي‬ُ‫ي‬‫و‬ ، ٌ‫ب‬:‫يا‬ ِ‫النار‬ ‫من‬ ُ‫ء‬‫عتقا‬ ِ‫هلل‬‫و‬ ، ْ‫صر‬ْ‫ق‬‫أ‬ ِ‫الشر‬ َ‫باغي‬ ‫ويا‬ ، ْ‫أقبل‬ ِ‫الخير‬ َ‫باغي‬َّ‫ل‬‫ك‬ ‫وذلك‬ ،ٍ‫ة‬‫ليل‬( .‫صحيح‬ ‫الجامع‬:759)
  • 18. ‫هريرة‬ ‫أبي‬ ‫وعن‬:‫النبي‬ ‫أن‬‫وسلم‬ ‫عليه‬ ‫هللا‬ ‫صلى‬‫قال‬:‫الصلوات‬ ‫إلى‬ ‫والجمعة‬ ‫الخمس‬‫الجمعة،ورمضان‬‫رمضان‬ ‫إلى‬ ‫بينهن‬ ‫لما‬ ‫مكفرات‬‫الكبائر‬ ‫اجتنبت‬ ‫إذا‬.(‫رواه‬‫مسلم‬) 8- रम़ाजन से दुसरे रमज़ान ेक गुऩाहों से क्षम़ा है: अबू हुरैऱा (रर्ज) से वर्िन है र्क रसूल (सल्लल्ल़ाहु अर्लह व सल्लम) ने फरम़ाय़ााः “ प़ांच समय की फजि नम़ाजें और जुम़ा से दुसरे जुम़ा ेक और रमज़ान से दुसरे रमज़ान ेक नेक क़ायि गुऩाहों के र्लए प्ऱायर्िे हं, जब ेक र्क मह़ाप़ापों से बच़ा ज़ाए।” (सही मुहसलमैः 233)
  • 19. 9- रमज़ान क़ु रआन के अवेरर् क़ा महीऩा: ُ‫ر‬ْ‫ه‬َ‫ش‬‫ي‬ِ‫ف‬ َ‫ل‬ ِ‫نز‬ُ‫أ‬ ‫ي‬ِ‫ذ‬َّ‫ل‬‫ا‬ َ‫ان‬َ‫ض‬َ‫م‬َ‫ر‬َّ‫ن‬‫ل‬ِ‫ل‬ ‫ًى‬‫د‬ُ‫ه‬ ُ‫آن‬ْ‫ر‬ُ‫ق‬ْ‫ل‬‫ا‬ ِ‫ه‬ِ‫اس‬ ٰ‫َى‬‫د‬ُ‫ه‬ْ‫ل‬‫ا‬ َ‫ن‬ِ‫م‬ ‫ات‬َ‫ن‬ِ‫ي‬َ‫ب‬َ‫و‬ْ‫ر‬ُ‫ف‬ْ‫ل‬‫ا‬َ‫و‬ِ‫ان‬َ‫ق‬.(‫البقرة‬ ‫سورة‬:185) रमज़ान क़ा महीऩा वह है, र्जस में क़ु रआन उे़ाऱा गय़ा, जो सब म़ानव के म़ागिदशिन है। ेथ़ा म़ागिदशिन और सत्य- असत्य के बीच अन्ेर करने क़ा िुल़ा प्रम़ार् रिे़ा है। (अल्-बकऱााः 185)
  • 20. 10- रमज़ान की एक ऱाे हज़ार महीनों की ऱाेों से उत्तम हैाः हमने इसे क़द्र की ऱाे में अवेररे र्कय़ा-और ेुम्हें क्य़ा म़ालूम र्क क़द्र की ऱाे क्य़ा है?, क़द्र की ऱाे हज़ार महीनों की ऱाेों से उत्तम है। (सूरह अल्क़द्राः 1-3)
  • 22. 1- सब से पहले अल्ल़ाह क़ा शुक्र और उसकी े़ारीफ और प्रशंस़ा के म़ाध्यम से स्व़ागे करें: अल्ल़ाह ने अपऩा शुक्र अद़ा करने क़ा आदेश र्दय़ा है। ْ‫ذ‬ِ‫إ‬َََ‫و‬ ْ‫م‬ُ‫ك‬َّ‫ن‬َ‫د‬‫ي‬ ِ‫ألز‬ ْ‫م‬ُ‫ت‬ْ‫َر‬‫ك‬َ‫ش‬ ْ‫ن‬ِ‫ئ‬َ‫ل‬ ْ‫م‬ُ‫ك‬ُّ‫ب‬َ‫ر‬ َ‫ن‬َّ‫ذ‬َ‫أ‬َ‫ت‬َّ‫ن‬ِ‫إ‬ ْ‫م‬ُ‫ت‬ْ‫ر‬َ‫ف‬َ‫ك‬ ْ‫ن‬ِ‫ئ‬َ‫ل‬‫ي‬ِ‫ب‬‫ا‬َ‫ذ‬َ‫ع‬‫ِيد‬‫د‬َ‫ش‬َ‫ل‬. [‫إبراهيم‬:7] जब ेुम्ह़ारे रब ने सूर्चे कर र्दय़ा थ़ा र्क “ यर्द ेुम कृ ेज्ञ हुए ेो मं ेुम्हें और अर्िक दूूँग़ा, परन्ेु यर्द ेुम अकृ ेज्ञ र्सद्ध हुए ेो र्निय ही मेरी य़ाेऩा भी अत्यन्े कठोर है।" (सूरह इब्ऱाहीमाः 7)
  • 23. 2- एक दुसरों को रमज़ान की मुब़ारक ब़ाद दें, लोगों को भल़ाइ के क़ायि पर उत्स़ार्हे करेे हुए, दुआऐंदेेे हुए स्व़ागे करें: रसूल (सल्ल) ने अपने स़ार्थयों को शुभ िबर देेे हुए फरम़ाय़ा हैाः" ेुम्ह़ारे प़ास रमज़ान क़ा महीऩा आय़ा है, यह बरके व़ाल़ा महीऩा है, अल्ल़ाह ेआल़ा की रहमेें ेुम्हें इस महीने में ढ़़ाप लेंगी, वह रहमेें उे़ारे़ा है, प़ापों को र्मट़ाे़ा है और दुआ स्वीक़ार करे़ा है और इस महीने में ेुम लोगों क़ा आपस में इब़ादेों में बढ़ चढ़ कर भ़ाग लेने को देिे़ा है, ेो फररश्ेों के प़ास ेुम्ह़ारी े़ारीफ और प्रशंस़ा बय़ान करे़ा है, ेो ेुम अल्ल़ाह को अच्छे क़ाये करके र्दि़ाओ, र्नाःसन्देह बदबख्े वह है जो इस महीने की रहमेों से वंर्चे रहे।” ( अल–ेबऱानी)
  • 24. 3- रमज़ान में नेक कमि करने क़ा दृढ़ संकल्प और पुख्े़ा इऱाद़ा करेे हुए स्व़ागे करें: आप पुख्े़ा इऱाद़ा कर लें र्क इस पर्वत्र महीने में ज़्जय़ाद़ा से ज़्जय़ाद़ा पुण्य क़ा क़ाम करेंगे, इस पूरे महीने क़ा रोज़ा रिेंगे, नम़ाजों और अल्ल़ाह के र्जक्रो अज़्जक़ार, र्ेल़ावेे कु रआन में अपऩा पुऱा समय लग़ाऐंगे, लोगों की भल़ाई और कल्य़ार् के क़ायि मे भ़ाग लेंगे। नबी (सल्ल) ने फरम़ाय़ााः"र्नाःसंदेह कमों संकल्प (हृदय की ईच्छ़ा) पर आि़ाररे है और प्रर्े व्यर्ि के संकल्प के आि़ार पर अच्छे य़ा बुरे कमों क़ा बदल़ा र्मलेग़ा।........" (सही बुि़ारीाः 1)
  • 25. ‫ن‬َّ‫ي‬‫ب‬ َّ‫م‬‫ث‬ ِ‫ت‬‫ئا‬ِِّ‫ي‬َّ‫س‬‫وال‬ ِ‫ت‬‫الحسنا‬ ‫كتب‬ َ‫هللا‬ َّ‫ن‬‫إ‬،‫ذلك‬‫ب‬ َّ‫م‬‫ه‬ ‫فمن‬‫له‬ ُ‫هللا‬ ‫كتبها‬ ‫ها‬ْ‫ل‬َ‫م‬‫يع‬ ‫فلم‬ ٍ‫ة‬‫حسن‬ ً‫حسنة‬ ‫عنده‬‫،فإن‬ً‫كاملة‬‫حسنا‬ َ‫عشر‬ ‫عنده‬ ‫له‬ ُ‫هللا‬ ‫كتبها‬ ‫لها‬ِ‫وعم‬ ‫بها‬ َّ‫م‬‫ه‬ ‫هو‬ِ‫ة‬‫مائ‬ِ‫ع‬‫سب‬ ‫إلى‬ ٍ‫ت‬ ٍ‫أضعاف‬ ‫إلى‬ ٍ‫ضعف‬،ٍ‫ة‬‫كثير‬ُ‫هللا‬ ‫كتبها‬ ‫ها‬ْ‫ل‬َ‫م‬‫يع‬ ‫فلم‬ ٍ‫ة‬‫ئ‬ِِّ‫ي‬‫بس‬ َّ‫م‬‫ه‬ ‫ومن‬ً‫حسنة‬ ‫عنده‬ ‫له‬،ً‫كاملة‬ ‫فإن‬‫هو‬ً‫ئة‬ِِّ‫ي‬‫س‬ ‫له‬ ُ‫هللا‬ ‫كتبها‬ ‫لها‬ِ‫فعم‬ ‫بها‬ َّ‫م‬‫ه‬ً‫ة‬‫واحد‬.(‫البخاري‬:7691‫ومسلم‬:131) नेकीकरनेकेसंकल्पपरबदल़ाऔरबुऱाइन करनेपरभीनेकीअंर्केर्कय़ाज़ाे़ाहैाः बेशक अल्ल़ाह ने नेर्कयों और प़ापों को र्लि र्दय़ा है और उनके प्रर्े स्पष्ट भी कर र्दय़ा है। ेो जो व्यर्ि र्कसी के करने क़ा संकल्प करे़ा है परन्ेु र्कसी उर्चे क़ारर् के उस नेकी को कर नहीं प़ाे़ा ेो अल्ल़ाह उसके र्लए अपने प़ास नेकी र्लि लेे़ा है, और यर्द कोइ नेकी करने क़ा इच्छ़ा करे़ा और र्फर वह नेकी कर भी लेे़ा है ेो अल्ल़ाह उसके र्लए अपने प़ास दस नेकी से बढ़़ा कर स़ाे सो से दुग्ऩा और र्फर बहुे ज़्जय़ाद़ा दुगऩा ेीनगुन्ऩा बढ़़ाे़ा है। परन्ेु र्जस ने र्कसी प़ाप के करने क़ा इच्छ़ा र्कय़ा और वह प़ाप कर न सक़ा ेो अल्ल़ाह उस के र्लए अपने प़ास पूरी नेकी र्लि लेे़ा है। और यर्द उसने र्कसी प़ाप के करने क़ा संकल्प र्कय़ा और र्फर वह प़ाप कर भी लेे़ा है ेो अल्ल़ाह उस के र्लए अपने प़ास एक प़ाप र्लि लेे़ा है। (सही बुि़ारीाः 7691 व सही मुर्स्लमाः 131)
  • 26. 4- रमज़ान क़ा स्व़ागे गुऩाहों से ेौब़ा और जहन्नम से मुर्ि म़ांगेे हुए करें: अल्ल़ाह ेआल़ा ने गुऩाहों से ेौब़ा करने क़ा आज्ञ़ा र्दय़ा है और बेशक ेौब़ा करने व़ाले लोग सफलपूविक होंगेाः" ऐ ईम़ानव़ालों, ेुम सब र्मलकर अल्ल़ाह से ेौब़ा करो, आश़ा है र्क सफले़ा प्ऱाप्त करोगे। ” (सूऱा अन्नूराः 31) ऐ ईम़ान ल़ानेव़ाले! अल्ल़ाह के आगे ेौब़ा करो, र्वशुद्ध ेौब़ा। बहुे सम्भव है र्क ेुम्ह़ाऱा रब ेुम्ह़ारी बुऱाइय़ाूँ ेुमसे दूर कर दे और ेुम्हें ऐसे ब़ागों में द़ाऱ्िल करे र्जनके नीचे नहरे बह रही होंगी। (66-सरह अत्तहरीमैः 8)
  • 28. 5- रमज़ान क़ा स्व़ागे अपने बहुमूल्य समय की सही योजऩा बऩा कर करें: रमज़ान के महीने के समय को मुनज़्जजम करले र्क फजर की नम़ाज से पहले उठकर सेहरी िऩा है र्फर नम़ाज पढ़ कर कु रआन की र्ेल़ावे करऩा है। र्दन ऱाे के समय को र्वर्भन्न क़ायों, इब़ादेों और जरूरी क़ामों में ब़ांट दें। े़ार्क समय नष्ट न हो और पूरे समय क़ा सही उपयोग हो सके । बेक़ार की गप शप से दूर रह़ा ज़ाए। े़ार्क पूऱा रमज़ान क़ा महीऩा इब़ादेों में बीेे।
  • 29. 6- रमज़ान के महीने क़ा स्व़ागे रोजे के अहक़ाम क़ा र्सक्ष़ा ले कर करें: रमज़ान में र्कन चीजो के करने से रोज़ा िऱाब हो ज़ाे़ा है? र्कन चीजो के करने से कु छ नही होे़ा? कौन स़ा क़ाम और इब़ादेें करऩा च़ार्हये और कै से करन च़ार्हये ?, कौन स़ा क़ाम रोजे की र्स्ेर्थ में नहीं करऩा च़ार्हये ?, रमज़ान में कौन स़ा क़ायि अल्ल़ाह को सब से ज़्जय़ाद़ा र्प्रय है?, रसूल (सल्ल) रमज़ान क़ा महीऩा कै से गुज़ारेे थे ?, इन सब चीजों क़ा ज्ञ़ान लेऩा जरूरी है। े़ार्क रमज़ान महीने को अच्छे ेरीके से गुज़ाऱा ज़ाए, रमज़ान महीने की बरकेों और रहमेों को प्ऱाप्त र्कय़ा ज़ा सके ।
  • 30. 7- रमज़ान में लोगों के लेन देन और हुकू क और अर्िक़ार को पूऱा करके स्व़ागे करें: एक र्दन रसूल (सल्ल) ने अपने स़ार्थयों से पूछ़ााःक्य़ा ेुम ज़ानेे हो मुर्ललस र्कसे कहेे हं?, लोगों ने कह़ा: हम़ारे बीच मुर्ललस उसे समझ़ा ज़ाे़ा है, र्जसके प़ास स़ाम़ान और रुपय न हों। आपने (सल्ल) ने फरम़ाय़ााः कल क्य़ामे के र्दन मुर्ललस वह होग़ा जो नम़ाज, रोजे, और जक़ाे के स़ाथ आएग़ा, लेर्कन र्कसी को ग़ाली दी होगी, र्कसी पर (व्यभीच़ार क़ा) आरोप लग़ाय़ा होग़ा, र्कसी क़ा म़ाल ि़ाय़ा होग़ा, र्कसी क़ा िून बह़ाय़ा होग़ा, इस प्रक़ार उसकी नेर्कय़ाूँ एक एक कर के हक़द़ारों को दे दी ज़ाएंगी, जब उसकी नेर्कय़ां सम़ाप्त हो ज़ाएंगी और अभी हक़द़ार ब़ाक़ी रह ज़ाएंगे ेो हक़द़ारों के प़ाप उसके सर थोप र्दए ज़ाएंगे। र्फर उसे नरक में ड़ाल र्दय़ा ज़ाए। (सही मुर्स्लमाः 2581)
  • 31. 8- हृदय को दुश्मनी, कीऩा कपट, और हसद-जलन से पर्वत्र रि कर करें: रसूल (सल्लल्ल़ाहु अलैर्ह व सल्लम) ने फरम़ाय़ााः बन्दों के कमि सोमव़ार और शुक्रव़ार को अल्ल़ाह के प़ास पेश र्कये ज़ाेे हं, ेो अल्ल़ाह अज़्जज व जल्ल हर उस बन्दे को म़ाफ कर देे़ा है, जो अल्ल़ाह के स़ाथ र्शकि न र्कय़ा हो र्सव़ाए उस म़ानव को र्जस के और उस के भ़ाई के बीच कीऩा कपट और दुशमनी हो, ेो कह़ा ज़ाे़ा है, इन दोनों को छोड़ दो, यह़ाूँ ेक र्क दोनों सुलह सफ़ाई करले, इन दोनों को छोड़ दो यह़ाूँ ेक र्क दोनो सुलह सफ़ाई करले।” (सही मुहसलम)
  • 32. रसूल (सल्ल) ने फरम़ाय़ााः"अल्ल़ाह पर्वत्र है और पर्वत्र वस्ेु को स्वीक़ार करे़ा है और बेशक अल्ल़ाह मुसलम़ानों को उन्हीं चीजों के करने क़ा आदेश देे़ा है, र्जन चीजों के करने क़ा रसूलों को आज्ञ़ा देे़ा है, ेो अल्ल़ाह ने फरम़ाय़ााः ऐ रसूलों! पर्वत्र वस्ेुओंको ि़ाओ और अच्छ़ा कमि करो, और मूर्मनों से फरम़ाय़ााः ऐ मूर्मनों! उन पर्वत्र चीजों को ि़ाओ जो हमने ेुमहें रोजी दे रिी है, और रसूल (सल्ल) ने एक आदमी की उद़ाहरर् देेे हुए कह़ााः एक आदमी लम्ब़ा य़ात्ऱा करे़ा है, उस के र्बिरे हुए ब़ाल, िूल से अट़ा हुआ शरीर, और अपने दोनों ह़ाथों को आक़ाश की ओर उठ़ाेे हुए कहे़ा हैाः ऐ रब्ब, ऐ रब्ब, ह़ाल़ाूँर्क उसक़ा ि़ाऩा हऱाम की कम़ाई से होे़ा है, उसक़ा पीऩा हऱाम की कम़ाई से होे़ा है, उसक़ा पोश़ाक हऱाम की कम़ाई क़ा है, और पूरी जीवन हऱाम ि़ाेे हुए गुजऱा ेो र्फर उस की दुआ क्यों कर स्वीक़ाररे होगी। 9- हल़ाल कम़ाइ से जीवन व्येीे करेे हुए रमज़ान क़ा स्व़ागे करें: (सही मुर्स्लमाः 1015)
  • 33. रमज़ान क़ा स्व़ागे इस्ल़ामी र्नमन्त्रर् के म़ाध्यम से करेाः जहन्नम (नरक) से मुर्ि और जन्ने (स्वगि) में द़ार्िल होने क़ा ऱास्े़ा के वल इस्ल़ाम ही है। इस र्लए र्जस प्रक़ार अल्ल़ाह ने सही ऱास्े़ा चयन करने की शर्ि दी और कोइ दुसऱा भ़ाई इस म़ाध्यम बऩा ेो आप भी अपने दुसरे गैर मुर्स्लमों के इस्ल़ाम स्वीक़ार करने क़ा म़ाध्यम बने। ेो अल्ल़ाह आप को बेर्हस़ाब नेर्कय़ाूँ देग़ा। ‫بك‬ ُ‫هللا‬ َ‫يهدي‬ ‫ن‬َ‫أل‬ ‫فوهللا‬ ،‫فيه‬ ِ‫هللا‬ ِ‫حق‬ ‫من‬ ‫عليهم‬ ُ‫يجب‬ ‫بما‬ ‫هم‬ ْ‫وأخبر‬ ،ِ‫اإلسالم‬ ‫إلى‬ ‫هم‬ُ‫ع‬‫اد‬ً‫ال‬‫رج‬،ً‫ا‬‫واحد‬‫من‬ ‫لك‬ ٌ‫خير‬ ‫أن‬‫لك‬ َ‫يكون‬ُ‫ر‬ْ‫م‬ُ‫ح‬ِ‫م‬َ‫ع‬َّ‫ن‬‫ال‬( .‫البخاري‬ ‫صحيح‬:4210) नबी(सल्ल) ने अली(रर्ज) से फरम़ाय़ााः उन्हें इस्ल़ाम की ओर र्नमन्त्रर् करो, अल्ल़ाह ने जो उन पर अर्नव़ायि र्कय़ा है,उन से उन्हें सूर्चे करो,ेो अल्ल़ाह की कसमाःेुम्ह़ारे म़ाध्यम से अल्ल़ाह एक व्यर्ि को सही म़ागिदशिन कर दे, ेो यह ेुम्ह़ारे र्लए ल़ाल ऊं ट से उत्तम है। (सही बुि़ारीाः 4210)
  • 34. इस पाठ म़ें आप की उपहसिहत पर हम आपका हाहदमक धन्यवाद कहते हैं। अल्लाह आप के जीवन म़ें प्रत्येक प्रकार की िुशी लाए और दुहनया और आहिरत म़ें सफलता दे। आमीन