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द्वारा हार्दिक वर्ाि आठव ीं एक
पररचय
 भाषा ववज्ञान और व्याकरण र्ें, एक सविनार् एक सींज्ञा या
सींज्ञा वाकयाींश के लिए ववकल्प है कक एक शब्द है
 सविनार् के छः प्रकार हैं- 1. पुरूषवाचक - र्ैं, तू, आप।
2. ननश्चयवाचक - यह, वह। 3. अननश्चयवाचक - कोई,
कु छ। 4. सींबींधवाचक - जो, सो। 5. प्रश्रवाचक - कौन,
कया। 6. ननजवाचक - आप।
सविनार् के प्रकार
 1. पुरूषवाचक सविनार्- जो सविनार् वकता (बोिनेवािे), श्रोता
(सुननेवािे) तथा ककस अन्य के लिए प्रयुकत होता है, उसे
पुरूषवाचक सविनार् कहते हैं। जैसे- र्ैं, तू, वह आर्द।
पुरूषवाचक सविनार् के त न भेद हैं- अ. उत्तर् पुरूष- वकता या
िेखक अपने लिए उत्तर् पुरूष का प्रयोग करते हैं। जैसे- र्ैं
लिखता हूूँ। हर् लिखते हैं। इन वाकयों र्ें र्ैं और हर् शब्द
उत्तर् पुरूष सविनार् हैं। आ. र्ध्यर् पुरूष- श्रोता के लिए
र्ध्यर् पुरूष का प्रयोग होता है। जैसे- तुर् जाओ। आप
जाइये। इन वाकयों र्ें तुर् और आप शब्द र्ध्यर् पुरूष हैं। इ.
अन्य पुरूष- वकता या िेखक द्वारा श्रोता के अनतररकत ककस
अन्य (त सरे) के लिए अन्य पुरूष का प्रयोग होता है। जैसे-
वह पढ़ता है। 2 वे पढ़ते हैं। इन वाकयों र्ें वह और वे शब्द
अन्य पुरूष हैं।
 2. ननश्चयवाचक (सींके तवाचक) सविनार्- जो सविनार् ननकट या
दूर की ककस वस्तु की ओर सींके त करे, उसे ननश्चयवाचक
सविनार् कहते हैं। जैसे- यह िड़की है। वह पुस्तक है। ये र्हरन
हैं। वे बाहर गए हैं। इन वाकयों र्ें यह, वह, ये और वे शब्द
ननश्चयवाचक सविनार् हैं
 3. अननश्चयवाचक सविनार्- जजस सविनार् से ककस ननजश्चत
व्यजकत या पदाथि का बोध नह ीं होता, उसे अननश्चयवाचक
सविनार् कहते हैं। जैसे- बाहर कोई है। र्ुझे कु छ नह ीं लर्िा।
इन वाकयों र्ें कोई और कु छ शब्द अननश्चयवाचक सविनार् हैं।
कोई शब्द का प्रयोग ककस अननजश्चत व्यजकत के लिए और
कु छ शब्द का प्रयोग ककस अननजश्चत पदाथि के लिए प्रयुकत
होता है।
 4. सींबींधवाचक सविनार्- जो सविनार् ककस दूसर सींज्ञा या
सविनार् से सींबींध र्दखाने के लिए प्रयुकत हो, उसे सींबींधवाचक
सविनार् कहते हैं। जैसे- जो करेगा सो भरेगा। इस वाकय र्ें जो
शब्द सींबींधवाचक सविनार् है और सो शब्द ननत्य सींबींध
सविनार् है। अधधकतर सो लिए वह सविनार् का प्रयोग होता है।
 5. प्रश्रवाचक सविनार्- जजस सविनार् से ककस प्रश्र का बोध
होता है उसे प्रश्रवाचक सविनार् कहते हैं। जैसे- तुर् कौन हो ?
तुम्हें कया चार्हए ? इन वाकयों र्ें कौन और कया शब्द
प्रश्रवाचक सविनार् हैं। कौन शब्द का प्रयोग प्राणणयों के लिए
और कया का प्रयोग जड़ पदाथों के लिए होता है।
सर्वनाम
सर्वनाम

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सर्वनाम

  • 2. पररचय  भाषा ववज्ञान और व्याकरण र्ें, एक सविनार् एक सींज्ञा या सींज्ञा वाकयाींश के लिए ववकल्प है कक एक शब्द है  सविनार् के छः प्रकार हैं- 1. पुरूषवाचक - र्ैं, तू, आप। 2. ननश्चयवाचक - यह, वह। 3. अननश्चयवाचक - कोई, कु छ। 4. सींबींधवाचक - जो, सो। 5. प्रश्रवाचक - कौन, कया। 6. ननजवाचक - आप।
  • 3. सविनार् के प्रकार  1. पुरूषवाचक सविनार्- जो सविनार् वकता (बोिनेवािे), श्रोता (सुननेवािे) तथा ककस अन्य के लिए प्रयुकत होता है, उसे पुरूषवाचक सविनार् कहते हैं। जैसे- र्ैं, तू, वह आर्द। पुरूषवाचक सविनार् के त न भेद हैं- अ. उत्तर् पुरूष- वकता या िेखक अपने लिए उत्तर् पुरूष का प्रयोग करते हैं। जैसे- र्ैं लिखता हूूँ। हर् लिखते हैं। इन वाकयों र्ें र्ैं और हर् शब्द उत्तर् पुरूष सविनार् हैं। आ. र्ध्यर् पुरूष- श्रोता के लिए र्ध्यर् पुरूष का प्रयोग होता है। जैसे- तुर् जाओ। आप जाइये। इन वाकयों र्ें तुर् और आप शब्द र्ध्यर् पुरूष हैं। इ. अन्य पुरूष- वकता या िेखक द्वारा श्रोता के अनतररकत ककस अन्य (त सरे) के लिए अन्य पुरूष का प्रयोग होता है। जैसे- वह पढ़ता है। 2 वे पढ़ते हैं। इन वाकयों र्ें वह और वे शब्द अन्य पुरूष हैं।
  • 4.  2. ननश्चयवाचक (सींके तवाचक) सविनार्- जो सविनार् ननकट या दूर की ककस वस्तु की ओर सींके त करे, उसे ननश्चयवाचक सविनार् कहते हैं। जैसे- यह िड़की है। वह पुस्तक है। ये र्हरन हैं। वे बाहर गए हैं। इन वाकयों र्ें यह, वह, ये और वे शब्द ननश्चयवाचक सविनार् हैं  3. अननश्चयवाचक सविनार्- जजस सविनार् से ककस ननजश्चत व्यजकत या पदाथि का बोध नह ीं होता, उसे अननश्चयवाचक सविनार् कहते हैं। जैसे- बाहर कोई है। र्ुझे कु छ नह ीं लर्िा। इन वाकयों र्ें कोई और कु छ शब्द अननश्चयवाचक सविनार् हैं। कोई शब्द का प्रयोग ककस अननजश्चत व्यजकत के लिए और कु छ शब्द का प्रयोग ककस अननजश्चत पदाथि के लिए प्रयुकत होता है।
  • 5.  4. सींबींधवाचक सविनार्- जो सविनार् ककस दूसर सींज्ञा या सविनार् से सींबींध र्दखाने के लिए प्रयुकत हो, उसे सींबींधवाचक सविनार् कहते हैं। जैसे- जो करेगा सो भरेगा। इस वाकय र्ें जो शब्द सींबींधवाचक सविनार् है और सो शब्द ननत्य सींबींध सविनार् है। अधधकतर सो लिए वह सविनार् का प्रयोग होता है।  5. प्रश्रवाचक सविनार्- जजस सविनार् से ककस प्रश्र का बोध होता है उसे प्रश्रवाचक सविनार् कहते हैं। जैसे- तुर् कौन हो ? तुम्हें कया चार्हए ? इन वाकयों र्ें कौन और कया शब्द प्रश्रवाचक सविनार् हैं। कौन शब्द का प्रयोग प्राणणयों के लिए और कया का प्रयोग जड़ पदाथों के लिए होता है।