महंत पारस जी के अनुसार पुरातन सनातन धर्म में कई धार्मिक त्योहारों को सूचीबद्ध किया गया है,उन प्रमुख धार्मिक त्योहारों में से एक है जन्माष्टमी, जिसे कृष्ण अष्टमी और गोकुलाष्टमी के नाम से भी जानते हैं। यह हिन्दुओं के सबसे प्रतिष्ठित त्योहारों में एक है, जो विष्णु के आंठवे अवतार भगवान कृष्ण के जन्म का उत्सव मानते है। यह उत्सव जीवन में आनंद, भक्ति, सांस्कृतिक अभिव्यक्ति और जीवंतता का प्रतीक है।
Kumbh Mela_ Aastha Shakti Aur Mithkon ka Adbhut Sangam.pptxLate Marriageकुंभ, दुनिया में सबसे बड़ा लगने वाला धार्मिक मेला है जिसमें विश्वभर से लोग इस उत्सव को देखने और इसका अनुभव करने आते हैं। कल्पना से परे एक ऐसी जगह जहां लाखों लोग एकत्रित होते हैं। भक्ति और आध्यात्मिकता का संगम कुंभ को विशेष बनाता है। पवित्र नदी के किनारे दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण आध्यात्मिक सभा का आयोजन होता है। यह वह समय होता है जब जीवन और मृत्यु के चक्र से मुक्ति पाने के लिए लोग मोक्ष प्राप्ति की कामना से कुंभ मेले में एक साथ आते हैं। भगवान के सामने अपना सब कुछ न्योछावर करते हुए मुक्त होने की इच्छा रखते हुए इस मेले में एकत्रित होकर भक्ति भाव के साथ इस उत्सव में शामिल होते हैं।
jagganath rathyatrathenationaltvरथयात्रा एक प्रमुख हिन्दू त्योहार है जो भारत में विभिन्न भागों में मनाया जाता है। इस त्योहार का मुख्य उद्देश्य है पुराणिक कथाओं और धार्मिक महत्व के आधार पर भगवान जगन्नाथ, बालभद्र और सुभद्रा को उनके रथ में यात्रा करवाना है। यह त्योहार हर साल अषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है।
Kumbh Mela_ Aastha Shakti Aur Mithkon ka Adbhut Sangam.pdfLate Marriageकुंभ, दुनिया में सबसे बड़ा लगने वाला धार्मिक मेला है जिसमें विश्वभर से लोग इस उत्सव को देखने और इसका अनुभव करने आते हैं। कल्पना से परे एक ऐसी जगह जहां लाखों लोग एकत्रित होते हैं। भक्ति और आध्यात्मिकता का संगम कुंभ को विशेष बनाता है। पवित्र नदी के किनारे दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण आध्यात्मिक सभा का आयोजन होता है। यह वह समय होता है जब जीवन और मृत्यु के चक्र से मुक्ति पाने के लिए लोग मोक्ष प्राप्ति की कामना से कुंभ मेले में एक साथ आते हैं। भगवान के सामने अपना सब कुछ न्योछावर करते हुए मुक्त होने की इच्छा रखते हुए इस मेले में एकत्रित होकर भक्ति भाव के साथ इस उत्सव में शामिल होते हैं।
skandapurana-com-chhat-puja-history-in-hindi-.pdfsaniyagusain4Chhat puja history in hindi: लखनऊ. उत्तर प्रदेश और बिहार में छठ का विशेष महत्व है। छठ सिर्फ एक त्योहार नहीं है, बल्कि लोगों से जुडी भावना है, जो पूरे चार दिन तक चलती है। नहाने और खाने से इसकी शुरुआत होती है, जो डूबते और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर समाप्त होती है। Chhat puja साल में दो बार मनाया जाता है। पहली बार चैत्र में और दूसरी बार कार्तिक में। चैत्र शुक्ल पक्ष षष्ठी पर मनाए जाने वाले छठ पर्व को ‘चैती छठ’ और कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी पर मनाए जाने वाले पर्व को ‘कार्तिकी छठ’ बोला जाता है। परिवार की सुख-समृद्धि की प्राप्ति के लिए ये पर्व मनाया जाता है। इसका एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक महत्व है।
kumbh se mahakumbh kumbh tak eik anant yatraSTUDYWITHPKSINHAमहाकुंभ एक दुर्लभ आयोजन है जो 12 पूर्ण कुंभ के बाद यानी 144 साल बाद आता है. इसीलिए इस आयोजन को महाकुंभ कहते हैं. यह सिर्फ प्रयागराज में आयोजित होता है, जहां गंगा, यमुना और सरस्वती (पौराणिक) नदियों का पवित्र संगम होता है
जैन धर्म के उदय के कारण _ जैन धर्म के संस्थापक _ भगवान महावीर स्वामी का जीवन...PRAVIN KUMARछठी शताब्दी ई. पू. एक बौद्धिक और आध्यात्मिक क्रान्ति का युग था जिसमें विश्व के विभिन्न भागों में मनुष्य की जिज्ञासा युग-युग की संचित धारणाओं, कर्मकाण्ड, अन्धविश्वास एवं अंध श्रद्धा के आवरण को हटाकर प्रत्येक मान्यता के अन्तर्निहित सत्य को खोजने के लिए लालायित थी। इस तर्कशीलता एवं जिज्ञासा का ही यह परिणाम था कि ई. पू. छठी शताब्दी में विश्व के अनेक स्थानों पर युग-प्रवर्तकों का जन्म हुआ, नवीन धर्मों की स्थापना हुई एवं पुरानी मान्यताओं का पुनर्मूल्यांकन करने का प्रयास हुआ।
March_2023__ke_sabhi_Vrat_Tyohar_ak_sath_-_maarc_mhiine_ke_sbhii_vrt_tyoNhaar...VandanaPareek13यहां मिलेंगे आपको मार्च में आने वाले सभी त्योहार जैसे आंवला एकादशी या रंगभरी एकादशी , होलिका दहन , शीतला सप्तमी , रंग पंचमी ,पापमोचनी एकादशी, चैत्र अमावस्या ,गुड़ी पड़वा, चैत्र नवरात्र, गौरी तृतीय या गणगौर,मासिक शिवरात्रि , दुर्गा अष्टमी
रामनवमी आदि की संपूर्ण जानकारी मिलेगी
Gita jayanti Amit Kumarगीता जयंती हिंदुओं के पवित्र ग्रंथ श्रीमद भगवद गीता के जन्म का प्रतीक है। एकादशी तिथि को गीता जयंती मनाई जाती है। गीता जयंती वह दिन है जब भगवान श्री कृष्ण ने महाभारत युद्ध शुरू होने से पहले कुरुक्षेत्र के युद्ध के मैदान में अर्जुन को गीता सुनाई थी। श्रीमद भगवद गीता एक 700 श्लोक वाला हिंदू ग्रंथ है जो पहली सहस्राब्दी ईसा पूर्व के उत्तरार्ध का है।
Mokshda ekadashiAmit Kumarहिंदू धर्म में मोक्षदा एकादशी का विशेष महत्व है. मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजा आदि करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है. और इस जन्म में सभी पापों का नाश होता है. मोक्षदा एकादशी का व्रत करने से नीच योनि में गए पितरों को मुक्ति मिलती है। सभी एकादशियों में नारायण समतुल्य पुण्यफल देने का सामर्थ्य है। भक्ति-भाव से किए गए इस व्रत के प्रभाव से प्राणी सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर मोक्ष को प्राप्त होता है।
GSP - 1 Bauddh Bharm (बौद्ध धर्म)Siddharth VairagiWelcome To General Studies Power. Hello I am Siddharth Vairagi Apko Is Video Me Bauddh Dharm Ke baare Bataya Gya hai. Jisase Apko Exam Me Help Mile. Thank You.
प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज धनबाद सेंटर शिव जयंतीR K Guptaप्रजापिता ब्रह्माकुमारीज के धनबाद सेंटर में मंगलवार को शिव की जयंती के साथ-साथ श्या मनगर सेंटर (प. बंगाल) की प्रमुख राजयोगि नी कमला दीदी का जन्मदि न भी केक काट कर मनाया गया. इस मौके पर सांस्कृति क कार्यक्रम पेश करती बच्ची.
Krishna Janmashtami ( Hindi )superuser99A beautiful Presentation On Krishna janmashtami which is to be celebrated on 5 September . Great For Any Seminar Children Function Or To Be Shown IN Schools .Hope you
Like it !
Made By Danish Joshi
सफला एकादशी Amit Kumarसफला एकादशी देश के लगभग सभी हिस्सों में कृष्ण मंदिर में बहुत जोश, उत्साह, जोश और खुशी के साथ मनाई जाती है। भगवान कृष्ण के मंदिरों में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। कृष्ण मंदिर में उत्सव होने का कारण यह है कि भगवान कृष्ण भगवान विष्णु के ही अवतार (अवतार) हैं। इस दिन रात्रि जागरण का विशेष महत्व होता है। इस दिन रात के समय जागते हुए श्री हरि की उपासना की जाती है। द्वादशी के दिन किसी जरूरमंद व्यक्ति या फिर ब्राह्मण को भोजन कराएं। और सामर्थ्य अनुसार दान-दक्षिणा दें।
Shiv puranSangiSathiभविष्य पुराण १८ प्रमुख पुराणों में से एक है। इसकी विषय-वस्तु एवं वर्णन-शैलीकी दृष्टि से अत्यन्त उच्च कोटि का है। इसमें धर्म, सदाचार, नीति, उपदेश, अनेकों आख्यान, व्रत, तीर्थ, दान, ज्योतिष एवं आयुर्वेद के विषयों का अद्भुत संग्रह है। वेताल-विक्रम-संवाद के रूप में कथा-प्रबन्ध इसमें अत्यन्त रमणीय है। इसके अतिरिक्त इसमें नित्यकर्म, संस्कार, सामुद्रिक लक्षण, शान्ति तथा पौष्टिक कर्म आराधना और अनेक व्रतोंका भी विस्तृत वर्णन है। भविष्य पुराण में भविष्य में होने वाली घटनाओं का वर्णन है। इससे पता चलता है ईसा और मुहम्मद साहब के जन्म से बहुत पहले ही भविष्य पुराण में महर्षि वेद व्यास ने पुराण ग्रंथ लिखते समय मुस्लिम धर्म के उद्भव और विकास तथा ईसा मसीह तथा उनके द्वारा प्रारंभ किए गए ईसाई धर्म के विषय में लिख दिया था।
Happy Muharram 2023.pdf.pdfMajedarJokesFestival Special 2023
Happy Muharram 2023 : मुहर्रम (Muharram) एक इस्लामी महीना जो इस्लामी कैलेंडर में पहले महीने के रूप में आता है। यह मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण महीना है, और इसके दौरान वे आले नबी हुसैन और उनके अनुयायियों के शहीदी की याद में रोजे रखते हैं। यह महीना इस्लामी वर्ष की पहली मुहर्रम तिथि से शुरू होता है, जो हिजरी कैलेंडर के अनुसार होती है। हिंदी भाषा में भी इसे "मुहर्रम" कहा जाता है।
मुहर्रम का सबसे अहम दिन या ताजिया घाटना दिवस (Tazia Ghataana Divas) या अशूरा होता है, जो मुहर्रम के दसवें दिन को संबोधित करता है। यह दिन हुसैन और उनके अनुयायियों के शहीद होने की याद में मनाया जाता है। लोग इस दिन रोते हैं, मातम करते हैं, और ताजिया नामक अलंकृत मूर्तियों को निकालते हैं, जिन्हें उनके शहीदी की स्मृति में निकाला जाता है।
ये भी पढ़िए : जब औरत ने भगवान जी पूछा की आपके लिए एक सेकंड कितने सालों के बराबर है
मुहर्रम के इस दौरान, खासकर शिया मुस्लिम समुदाय भव्य जुलूस निकालते हैं जिसमें अलाम, झंडे और ताजिये का प्रदर्शन किया जाता है। यह जुलूस इस्लामी भावनाएँ और उत्साह का प्रतीक है जो हुसैन और उनके साथियों के बलिदान को याद करता है।
कृपया ध्यान दें कि मुहर्रम एक इस्लामी त्योहार है और इसे विश्वसामंजस्यक रूप से मनाने से पहले स्थानीय संस्कृति और अनुसरणीयता का ध्यान रखना चाहिए।
Why Muharram is Celebrated / मुहर्रम क्यों मनाया जाता है -
मुहर्रम को मनाने के पीछे कई कारण होते हैं, और इसका महत्व इस्लामिक समुदाय के विभिन्न सेक्ट और संस्कृतियों के अनुसार भिन्न हो सकता है। मुहर्रम को हिंदी में इस्लामिक नववर्ष के रूप में मनाया जाता है, और इसके अलावा निम्नलिखित कारण भी हैं:
अशूरा की स्मृति: मुहर्रम का दसवां दिन, जिसे अशूरा कहा जाता है, इस्लामिक इतिहास में महत्वपूर्ण है। यह दिन विशेष तौर पर शिया मुस्लिम समुदाय के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि उनके नवर्ष के पहले दस दिनों में हुसैन इब्ने अली और उनके 72 साथियों की शहादत हुई थी। शिया मुस्लिम समुदाय में, इसे उनके और उनके साथियों के बलिदान की याद में रोज़े, मातम, और ताजिये का प्रदर्शन करके मनाया जाता है।
इस्लामिक नववर्ष: मुहर्रम इस्लामी चंद्र कैलेंडर के पहले महीने के रूप में आता है और इस दिन मुस्लिम समुदाय नए साल का आगमन मनाता है। इस दिन पर मुस्लिम लोग अपने विचारों को साफ़ करते हैं, भविष्य के लिए नियतनामा बनाते हैं, और इबादत के लिए संकल्प लेते हैं।
धार्मिक और सामाजिक संबंध: बहुत से मुस्लिम समुदाय में, मुहर्रम का त्योहार धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है और यह समाज में एकता और समरसता को बढ़ावा देता है। लोग इस अवसर पर एक दूसरे को बधाई देते हैं और सद्भावना बढ़ाने का प्रयास करते हैं।
ताजिये का प्रदर्शन: कुछ स्थानों पर, मुहर्रम के दौरान ताजिये नामक अलंकृत मूर्तियों को निकाला जाता है, जिन्हें उनके शहीदी की स्मृति में निकाला जाता है। इससे विशेष रूप से बड़े उत्साह से और भावनात्मक रूप से मनाया जाता है।
ये भी पढ़िए : माँ - बाप के बाद सिर्फ ऊपर वाला ही है जो हमारे सिर पर हाथ
कृपया ध्यान दें कि मुहर्रम एक इस्लामी त्योहार है और इसे विश्वसामंजस्यक रूप से मनाने से पहले स्थानीय संस्कृति और अनुसरणीयता का ध्यान रखना चाहिए।
मुहर्रम पर शुभकामनाएँ-
"मुहर्रम के इस पवित्र अवसर पर आपको आशीर्वाद मिले,
खुशियाँ मिलें, और आपका जीवन सफलता से भरा रहे।
आपको और आपके परिवार को खुशियों की बहार मिले।
मुहर्रम की बधाई ह
दिवाली का त्यौहार, पांच दिन का उत्सव, ३० अक्टूबरBramh pratapदिवाली का त्यौहार हिंदू कैलेंडर के अश्विन महीने के अंत और कार्तिक के महीने के शुरू में, भारत के कई क्षेत्रों में एक पांच दिवसीय उत्सव के रूप में मनाया जाता है।
sharda bhawani.pdfXPLODE1"शारदा भवानी" एक श्रद्धेय हिंदू देवी हैं जिन्हें ज्ञान, ज्ञान और शिक्षा का अवतार माना जाता है। "शारदा" शब्द "ज्ञान" के लिए संस्कृत शब्द से लिया गया है और "भवानी" एक श्रद्धेय देवी को दर्शाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है। शारदा भवानी भक्तों द्वारा विशेष रूप से भारत के कश्मीर क्षेत्र में अत्यधिक पूजनीय है।
शारदा भवानी को देवी सरस्वती का एक रूप माना जाता है, जिन्हें हिंदू धर्म में ज्ञान और कला की देवी माना जाता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, शारदा भवानी पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर की नीलम घाटी में शारदा गांव में स्थित एक श्रद्धेय मंदिर, पौराणिक शारदा पीठ से जुड़ा हुआ है। मंदिर, जो शिक्षा का एक महत्वपूर्ण केंद्र था, कहा जाता है कि महान संत आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित किया गया था।
Ugadi और Gudi Padwa: विविन्न राज्यों में मनाए जाने िाले उत्सिSEOVersatileभारतीय संस्कृ तत मेंत्योहारोंका खास महत्व है, जो समृद्धता, खुतियों, और सामातजक एकता का प्रतीक होतेहैं।
गुडीपडवा और उगादी, जो तहंदूकै लेंडर के अनुसार नए साल की िुरुआत का प्रतीक हैं, येदोनोंही त्योहार
भारत मेंव्यापक रूप सेमनाए जातेहैं।
एकादशी का महत्व.pdfShreevenkateswarDevaएकादशी व्रत से जुड़ा यह पृष्ठ यह जानकारी तो देता ही है कि एकादशी कब है, लेकिन साथ ही इस पर्व से जुड़े विभिन्न पहलुओं की भी विस्तार से विवेचना करता है।
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Mokshda ekadashiAmit Kumarहिंदू धर्म में मोक्षदा एकादशी का विशेष महत्व है. मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजा आदि करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है. और इस जन्म में सभी पापों का नाश होता है. मोक्षदा एकादशी का व्रत करने से नीच योनि में गए पितरों को मुक्ति मिलती है। सभी एकादशियों में नारायण समतुल्य पुण्यफल देने का सामर्थ्य है। भक्ति-भाव से किए गए इस व्रत के प्रभाव से प्राणी सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर मोक्ष को प्राप्त होता है।
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सफला एकादशी Amit Kumarसफला एकादशी देश के लगभग सभी हिस्सों में कृष्ण मंदिर में बहुत जोश, उत्साह, जोश और खुशी के साथ मनाई जाती है। भगवान कृष्ण के मंदिरों में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। कृष्ण मंदिर में उत्सव होने का कारण यह है कि भगवान कृष्ण भगवान विष्णु के ही अवतार (अवतार) हैं। इस दिन रात्रि जागरण का विशेष महत्व होता है। इस दिन रात के समय जागते हुए श्री हरि की उपासना की जाती है। द्वादशी के दिन किसी जरूरमंद व्यक्ति या फिर ब्राह्मण को भोजन कराएं। और सामर्थ्य अनुसार दान-दक्षिणा दें।
Shiv puranSangiSathiभविष्य पुराण १८ प्रमुख पुराणों में से एक है। इसकी विषय-वस्तु एवं वर्णन-शैलीकी दृष्टि से अत्यन्त उच्च कोटि का है। इसमें धर्म, सदाचार, नीति, उपदेश, अनेकों आख्यान, व्रत, तीर्थ, दान, ज्योतिष एवं आयुर्वेद के विषयों का अद्भुत संग्रह है। वेताल-विक्रम-संवाद के रूप में कथा-प्रबन्ध इसमें अत्यन्त रमणीय है। इसके अतिरिक्त इसमें नित्यकर्म, संस्कार, सामुद्रिक लक्षण, शान्ति तथा पौष्टिक कर्म आराधना और अनेक व्रतोंका भी विस्तृत वर्णन है। भविष्य पुराण में भविष्य में होने वाली घटनाओं का वर्णन है। इससे पता चलता है ईसा और मुहम्मद साहब के जन्म से बहुत पहले ही भविष्य पुराण में महर्षि वेद व्यास ने पुराण ग्रंथ लिखते समय मुस्लिम धर्म के उद्भव और विकास तथा ईसा मसीह तथा उनके द्वारा प्रारंभ किए गए ईसाई धर्म के विषय में लिख दिया था।
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Happy Muharram 2023 : मुहर्रम (Muharram) एक इस्लामी महीना जो इस्लामी कैलेंडर में पहले महीने के रूप में आता है। यह मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण महीना है, और इसके दौरान वे आले नबी हुसैन और उनके अनुयायियों के शहीदी की याद में रोजे रखते हैं। यह महीना इस्लामी वर्ष की पहली मुहर्रम तिथि से शुरू होता है, जो हिजरी कैलेंडर के अनुसार होती है। हिंदी भाषा में भी इसे "मुहर्रम" कहा जाता है।
मुहर्रम का सबसे अहम दिन या ताजिया घाटना दिवस (Tazia Ghataana Divas) या अशूरा होता है, जो मुहर्रम के दसवें दिन को संबोधित करता है। यह दिन हुसैन और उनके अनुयायियों के शहीद होने की याद में मनाया जाता है। लोग इस दिन रोते हैं, मातम करते हैं, और ताजिया नामक अलंकृत मूर्तियों को निकालते हैं, जिन्हें उनके शहीदी की स्मृति में निकाला जाता है।
ये भी पढ़िए : जब औरत ने भगवान जी पूछा की आपके लिए एक सेकंड कितने सालों के बराबर है
मुहर्रम के इस दौरान, खासकर शिया मुस्लिम समुदाय भव्य जुलूस निकालते हैं जिसमें अलाम, झंडे और ताजिये का प्रदर्शन किया जाता है। यह जुलूस इस्लामी भावनाएँ और उत्साह का प्रतीक है जो हुसैन और उनके साथियों के बलिदान को याद करता है।
कृपया ध्यान दें कि मुहर्रम एक इस्लामी त्योहार है और इसे विश्वसामंजस्यक रूप से मनाने से पहले स्थानीय संस्कृति और अनुसरणीयता का ध्यान रखना चाहिए।
Why Muharram is Celebrated / मुहर्रम क्यों मनाया जाता है -
मुहर्रम को मनाने के पीछे कई कारण होते हैं, और इसका महत्व इस्लामिक समुदाय के विभिन्न सेक्ट और संस्कृतियों के अनुसार भिन्न हो सकता है। मुहर्रम को हिंदी में इस्लामिक नववर्ष के रूप में मनाया जाता है, और इसके अलावा निम्नलिखित कारण भी हैं:
अशूरा की स्मृति: मुहर्रम का दसवां दिन, जिसे अशूरा कहा जाता है, इस्लामिक इतिहास में महत्वपूर्ण है। यह दिन विशेष तौर पर शिया मुस्लिम समुदाय के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि उनके नवर्ष के पहले दस दिनों में हुसैन इब्ने अली और उनके 72 साथियों की शहादत हुई थी। शिया मुस्लिम समुदाय में, इसे उनके और उनके साथियों के बलिदान की याद में रोज़े, मातम, और ताजिये का प्रदर्शन करके मनाया जाता है।
इस्लामिक नववर्ष: मुहर्रम इस्लामी चंद्र कैलेंडर के पहले महीने के रूप में आता है और इस दिन मुस्लिम समुदाय नए साल का आगमन मनाता है। इस दिन पर मुस्लिम लोग अपने विचारों को साफ़ करते हैं, भविष्य के लिए नियतनामा बनाते हैं, और इबादत के लिए संकल्प लेते हैं।
धार्मिक और सामाजिक संबंध: बहुत से मुस्लिम समुदाय में, मुहर्रम का त्योहार धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है और यह समाज में एकता और समरसता को बढ़ावा देता है। लोग इस अवसर पर एक दूसरे को बधाई देते हैं और सद्भावना बढ़ाने का प्रयास करते हैं।
ताजिये का प्रदर्शन: कुछ स्थानों पर, मुहर्रम के दौरान ताजिये नामक अलंकृत मूर्तियों को निकाला जाता है, जिन्हें उनके शहीदी की स्मृति में निकाला जाता है। इससे विशेष रूप से बड़े उत्साह से और भावनात्मक रूप से मनाया जाता है।
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कृपया ध्यान दें कि मुहर्रम एक इस्लामी त्योहार है और इसे विश्वसामंजस्यक रूप से मनाने से पहले स्थानीय संस्कृति और अनुसरणीयता का ध्यान रखना चाहिए।
मुहर्रम पर शुभकामनाएँ-
"मुहर्रम के इस पवित्र अवसर पर आपको आशीर्वाद मिले,
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दिवाली का त्यौहार, पांच दिन का उत्सव, ३० अक्टूबरBramh pratapदिवाली का त्यौहार हिंदू कैलेंडर के अश्विन महीने के अंत और कार्तिक के महीने के शुरू में, भारत के कई क्षेत्रों में एक पांच दिवसीय उत्सव के रूप में मनाया जाता है।
sharda bhawani.pdfXPLODE1"शारदा भवानी" एक श्रद्धेय हिंदू देवी हैं जिन्हें ज्ञान, ज्ञान और शिक्षा का अवतार माना जाता है। "शारदा" शब्द "ज्ञान" के लिए संस्कृत शब्द से लिया गया है और "भवानी" एक श्रद्धेय देवी को दर्शाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है। शारदा भवानी भक्तों द्वारा विशेष रूप से भारत के कश्मीर क्षेत्र में अत्यधिक पूजनीय है।
शारदा भवानी को देवी सरस्वती का एक रूप माना जाता है, जिन्हें हिंदू धर्म में ज्ञान और कला की देवी माना जाता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, शारदा भवानी पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर की नीलम घाटी में शारदा गांव में स्थित एक श्रद्धेय मंदिर, पौराणिक शारदा पीठ से जुड़ा हुआ है। मंदिर, जो शिक्षा का एक महत्वपूर्ण केंद्र था, कहा जाता है कि महान संत आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित किया गया था।
Ugadi और Gudi Padwa: विविन्न राज्यों में मनाए जाने िाले उत्सिSEOVersatileभारतीय संस्कृ तत मेंत्योहारोंका खास महत्व है, जो समृद्धता, खुतियों, और सामातजक एकता का प्रतीक होतेहैं।
गुडीपडवा और उगादी, जो तहंदूकै लेंडर के अनुसार नए साल की िुरुआत का प्रतीक हैं, येदोनोंही त्योहार
भारत मेंव्यापक रूप सेमनाए जातेहैं।
एकादशी का महत्व.pdfShreevenkateswarDevaएकादशी व्रत से जुड़ा यह पृष्ठ यह जानकारी तो देता ही है कि एकादशी कब है, लेकिन साथ ही इस पर्व से जुड़े विभिन्न पहलुओं की भी विस्तार से विवेचना करता है।
सनातन धर्म के पारस गुरु जी द्वारा आयुजीत जन्माष्टमी महोत्सव
1. जन्माष्टमी महोत्सव, सनातन धर्म के पारस गुरु जी द्वारा
आयुजीत जन्माष्टमी महोत्सव
संसार को गीता का उपदेश देने वाले कृ ष्ण के जन्म का महोत्सव
महंत पारस जी के अनुसार पुरातन सनातन धर्म में कई धार्मिक त्योहारों को सूचीबद्ध किया गया है,उन प्रमुख धार्मिक त्योहारों में से एक है जन्माष्टमी,
जिसे कृ ष्ण अष्टमी और गोकु लाष्टमी के नाम से भी जानते हैं। यह हिन्दुओं के सबसे प्रतिष्ठित त्योहारों में एक है, जो विष्णु के आंठवे अवतार भगवान कृ ष्ण
के जन्म का उत्सव मानते है। यह उत्सव जीवन में आनंद, भक्ति, सांस्कृ तिक अभिव्यक्ति और जीवंतता का प्रतीक है।
यह कृ ष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है जो आमतौर पर अगस्त में आता है।
ऐतिहासिक एवं पौराणिक महत्व
भगवान् श्री कृ ष्ण हिन्दू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण देवताओं में से एक माने जाते हैं। हिन्दू वैष्णों धर्म में जन्माष्टमी का विशेष महत्त्व है। महंत पारस जी के
अनुसार कृ ष्ण रास लीला की परंपरा जैसे कृ ष्ण के जन्म के समय मध्यरात्रि में जागरण करना, भक्ति गायन, नृत्य नाटक ,उपवास रखना जन्माष्टमी उत्सव
के भाग हैं। कृ ष्ण देवकी और वासुदेव के आठवें पुत्र हैं। इनका जन्म मथुरा में भाद्रपद माह के आंठवे दिन की आधी रात को हुआ था। कृ ष्ण का जन्म
अराजकता के समय हुआ था जब उनके मामा कं स द्वारा उनके जीवन के लिए संकट था। यह समय ऐसा था जब उनके मामा के द्वारा उत्पीड़न बड़े पैमाने
पर था,और सब ओर बुराई फै ली हुई थी
महंत पारस जी ने उल्लेख किया है की हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार श्री कृ ष्ण का जन्म मथुरा के काल कोठरी में आधी रात को हुआ था। कथा के
अनुसार मथुरा के अत्याचारी साशक कृ ष्ण के मामा कं स के लिए एक भविष्यवाणी हुई थी की उसकी बहन देवकी का आठवां पुत्र उसकी मृत्यु का कारण
2. बनेगा। इसलिए उसने अपनी बहन देवकी और जीजा वासुदेव को काल कोठरी में बंद कर दिया और उनके हर पुत्र की हत्या कर दी लेकिन उसके आठवें
पुत्र श्री कृ ष्ण को नहीं मार सका क्युकी जैसे ही वो मारने के आगे बढ़ा वैसे ही शिशु से योगमाया प्रकट हुई और कहा की उसको मारने वाला जन्म ले चुका
है और उसे किसी सुरक्षित स्थान पर पंहुचा दिया गया है जो आगे चलकर उसका वध करेगा। मथुरा के बंदीगृह में जन्म के तुरंत उपरान्त, उनके पिता
वसुदेव आनकदुन्दुभि कृ ष्ण को यमुना पार ले जाते हैं, जिससे बाल श्रीकृ ष्ण को गोकु ल में नन्द और यशोदा को दिया जा सके । इस खबर से मथुरावासियों
के भीतर ख़ुशी की लहर दौड़ गयी और उसी दिन से जन्माष्टमी को बेहद उत्साह के साथ मनाया जाने लगा।
श्री कृ ष्ण के प्रारंभिक जीवन के बारे में दर्शाते है, उनके चंचल कारनामों और दैवीय चमत्कारों, भगवद् गीता सहित विभिन्न ग्रंथों में वर्णित हैं। सनातन धर्म
के रक्षक के रूप में श्री कृ ष्ण की भूमिका और भक्ति, कर्तव्य और प्रेम पर उनकी अभिव्यक्तियाँ और चरित्र हिन्दू दर्शन का मूल हैं।
उत्सव अनुष्ठान और प्रथाएं
हिन्दू समुदायों की विविध सांस्कृ तिक प्रथाओं को दर्शाते हुए, जन्माष्टमी समारोह भारत और दुनिया भर में व्यापक रूप से भिन्न होते हैं। हालांकि, सामान्य
विषय और अनुष्ठान इन समारोहों को एकजुट करते हैं।
उत्सव अनुष्ठान और प्रथाएं
हिन्दू समुदायों की विविध सांस्कृ तिक प्रथाओं को दर्शाते हुए, जन्माष्टमी समारोह भारत और दुनिया भर में व्यापक रूप से भिन्न होते हैं। हालांकि, सामान्य
विषय और अनुष्ठान इन समारोहों को एकजुट करते हैं।
उपवास और प्रार्थना
महंत पारस जी के अनुयायी इस दिन व्रत रखते हैं, जो आमतौर पर सूर्योदय से शुरू होता है और अगले दिन आधी रात के उत्सव के बाद समाप्त होता है।
यह व्रत भक्ति और तपस्या का प्रतीक है, जो अनुयायियों को अपनी आध्यात्मिक प्रथाओं पर ध्यान कें द्रित करने की अनुमति देता है। व्रत के दौरान, भक्त
प्रार्थना, जप और कृ ष्ण के जीवन से सम्बंधित ग्रंथों को पढ़ने में, भजन कीर्तन करने में संलग्न होते हैं।
आधी रात का जश्न
जन्माष्टमी का मुख्य आकर्षण आधी रात का उत्सव है, जो कृ ष्ण के जन्म के सही समय को दर्शाता है। मंदिरों और घरों को फू लों, रौशनी और रंगीन
सजावट से सजाया जाता है। उनकी प्रार्थनाएं और भजन गायें जाते हैं,और कृ ष्ण की छवियों और मूर्तियों को स्न्नान कराया जाता है, सुन्दर सुन्दर कपडे
पहनाएं जाते हैं और एक सुन्दर से सजाये गए पालने में रखा जाता है।
भक्त भक्ति गीत गाने, नृत्य करने और कृ ष्ण के बचपन के कारनामों की पुनरावृत्ति में भाग लेने के लिए इक्कठा होते हैं।
दही हांडी
जन्माष्टमी के सबसे जीवंत और लोकप्रिय पहलुओं में से एक दही हांडी परंपरा है, जो विशेष रूप से महाराष्ट्र और भारत के अन्य क्षेत्रों में मनाई जाती है।
इस परंपरा में दही, मक्खन और अन्य वस्तुओं से भरी हुई एक मिटटी की हांडी को जमीन से ऊपर लटकाया जाता है। युवा टीम जिन्हे गोविंदा के नाम से
जाना जाता है, हांडी तक पहुंचने और उसे तोड़ने के लिए मानव पिरामिड बनाते हैं। यह कृ त्य कृ ष्ण के मक्खन के प्रति प्रेम और उनके शरारती स्वाभाव
का प्रतीक है, जो उनकी चंचल भावना और एक नेता और रक्षक के रूप में उनकी भूमिका को दर्शाता है।
कृ ष्ण जन्माष्टमी के अगले दिन महंत पारस जी के द्वारा दही हांडी का समारोह आयोजन कराई जाती है, लोग दही हांडी तोड़ते हैं जो त्यौहार का एक भाग
है। दही हांडी का शाब्दिक अर्थ है दही से भरा मिट्टी का पात्र। दही हांडी के अनुसार श्री कृ ष्ण अपने सखाओं सहित दही ओर मक्खन जैसे दूध के उत्पादों
को ढूंढ कर और चुराकर बाँट देते थे। इसलिए लोग अपने घरों में माखन और दूध की हांडी बालकों की पहुंच से बाहर छिपा देते थे और कृ ष्ण अपने
सखाओं के साथ ऊँ चे लटकती हांडियों को तोड़ने के लिए सूच्याकार स्तम्भ बनाते थे। भगवान् कृ ष्ण की यह लीला भारत भर में हिन्दू मंदिरों के
हस्तशिल्पों में, साथ साथ साहित्य में और नृत्य नाटक में प्रदर्शित की जाती है जो बालकों के आनंद और भोलेपन का प्रतीक है।
कृ ष्ण लीला प्रदर्शन
3. कृ ष्ण के जीवन के विभिन्न नाट्य रूपांतरण, जिन्हे कृ ष्ण लीला के नाम से जाना जाता है, जन्माष्टमी के दौरान प्रदर्शित किये जाते हैं। इन प्रदर्शनों में उनके
बचपन के चमत्कारों , राक्षसों के साथ उनकी लड़ाई और महाभारत में उनकी भूमिका का पुनर्मूल्यांकन शामिल है। इन नाटकों का मंचन अक्सर
सामुदायिक स्थानों और मंदिरों में किया जाता है, जो बड़ी संख्या में दर्शकों को आकर्षित करते हैं, मनोरंजन और आध्यात्मिक संवर्धन दोनों प्रदान करते
हैं।
क्षेत्रीय विविधताएं
हिन्दू संस्कृ ति की विविधता को प्रदर्शित करते हुए, जन्माष्टमी को विशिष्ट क्षेत्रीय स्वादों के साथ मनाया जाता है। हर क्षेत्र और जगह का अपना महत्व है,
विविधताएं है। हर क्षेत्र में कृ ष्ण के अलग अलग नाम हैं, विभिन्न क्षेत्रों में पूजा व्रत की अलग अलग विधियां हैं। लोग इस दिन पवित्रता बनाये रखने के लिए
विभिन्न धार्मिक कृ त्यों का पालन करते हैं। जिनमे विशेषरूप से रात्रि जागरण, पूजा अर्चना, और भजन कीर्तन शामिल हैं।
इन सभी विभिन्न परम्पराओं और अनोखे तरीकों से जन्माष्टमी मानाने का उद्देश्य भगवान श्री की उपस्थिति और उनकी बाल लीलाओं की याद ताज़ा
करना होता है। जन्माष्टमी को त्यौहार न सिर्फ धार्मिक बल्कि सांस्कृ तिक एकता और विविधता का भी प्रतीक है।
मथुरा और वृन्दावन
ब्रज क्षेत्र में कृ ष्ण की जन्मस्थली मथुरा और उनका बचपन का घर वृन्दावन, जन्माष्टमी समारोह के कें द्र हैं। मथुरा वृन्दावन में जन्माष्टमी की शोभा कु छ
अलग ही देखने को मिलती है उत्सव में भाग लेने के लिए भारत और दुनिया के कोनों कोनों से तीर्थयात्री इन शहरों में आते हैं। मथुरा में कृ ष्ण जन्माष्टमी
समारोह विशेष रूप से भव्य होते हैं जिसमे जुलुस, भक्ति गायन और विस्तृत अनुष्ठान होते हैं। वृन्दावन अपनी जीवंत उत्सवों के लिए प्रसिद्ध है, जिसमे
कृ ष्ण की अपने भक्तों के साथ चंचल बातचीत की पुनरावृत्ति भी शामिल है।
पंजाब/हरयाणा
हरियाणा के (शाहाबाद मारकं डा) में महंत श्री पारस जी द्वारा डेरा नसीब दा में कृ ष्ण जन्माष्टमी बड़े पैमाने पर मनाई जाती है | पंजाब में जन्माष्टमी
उत्साह और उमंग के साथ मनाई जाती है। यह त्यौहार भक्ति पूर्ण गायन, नृत्य और भजनों के गायन द्वारा चिन्हित है। गुरूद्वारे भी उत्सव में भाग लेते हैं, जो
क्षेत्र में विभिन्न धार्मिक परम्पराओं के सामंजस्य पूर्ण सह अस्तित्व को उजागर करते हैं। जन्माष्टमी पर विशेष रूप से खिचड़ी का प्रसाद बनाया जाता है।
इस दिन मंदिरों में खिचड़ी का वितरण किया जाता है , इसे बड़े श्रद्धा भाव से तैयार किया जाता है और सभी भक्तो के बिच प्रसाद रूप वितरित किया जाता
है|
गुजरात / राजस्थान
गुजरात में, जन्माष्टमी को धुलेटी के नाम से जाना जाता है। उत्सव में विशेष प्रार्थनाएं, पारम्परिक नृत्य और उत्सव के भोजन की तैयारी शामिल है। यह
क्षेत्र अपनी रंग बिरंगे जुलूसों और विस्तृत सजावट के लिए भी जाना जाता है, जो त्यौहार की ख़ुशी की भावना को दर्शाता है।
आध्यात्मिक और सांस्कृ तिक प्रभाव
जन्माष्टमी का गहरा आध्यात्मिक महत्व है, जो दैवीय शक्ति और धार्मिकता की जीत का प्रतिनिधित्व करता है। भगवद गीता में वर्णित कृ ष्ण की शिक्षाएँ
कर्तव्य, भक्ति और आत्मा की शाश्वत प्रकृ ति के महत्व पर जोर देती हैं। ये शिक्षाएँ लाखों अनुयायियों को प्रेरित और मार्गदर्शन करती रहती हैं।
सांस्कृ तिक रूप से, जन्माष्टमी जीवन, कला और परंपरा के एक जीवंत उत्सव के रूप में कार्य करती है। यह त्यौहार समुदायों को एक साथ लाता है,
एकता और साझा खुशी की भावना को बढ़ावा देता है। विभिन्न अनुष्ठान और प्रदर्शन न के वल कृ ष्ण की दिव्य उपस्थिति का जश्न मनाते हैं बल्कि
सांस्कृ तिक विरासत को संरक्षित और बढ़ावा भी देते हैं।
आधुनिक अनुकू लन और वैश्विक उत्सव
हाल के वर्षों में, दुनिया के विभिन्न हिस्सों में होने वाले उत्सवों के साथ, जन्माष्टमी ने भौगोलिक सीमाओं को पार कर लिया है। संयुक्त राज्य अमेरिका,
कनाडा, यूनाइटेड किंगडम और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में हिंदू समुदाय भक्ति और उत्साह के साथ जन्माष्टमी मनाते हैं। इन देशों में मंदिर और सांस्कृ तिक
4. संगठन भजन सत्र, सांस्कृ तिक प्रदर्शन और कृ ष्ण के जीवन और शिक्षाओं के बारे में शैक्षिक कार्यक्रमों सहित कार्यक्रमों की मेजबानी करते हैं।
जन्माष्टमी की वैश्विक पहुंच हिंदू परंपराओं के प्रति बढ़ती सराहना और कृ ष्ण की शिक्षाओं की सार्वभौमिक अपील को दर्शाती है। लाइव-स्ट्रीम किए गए
कार्यक्रमों, सोशल मीडिया अभियानों और दुनिया भर के भक्तों को जोड़ने वाले ऑनलाइन मंचों के साथ आधुनिक तकनीक ने भी त्योहार के प्रभाव को
बढ़ाने में भूमिका निभाई है।
1. धार्मिक महत्व: जन्माष्टमी कृ ष्ण के जन्म का प्रतीक है, जो पुरे संसार मे एक दिव्य नायक और धार्मिकता के प्रतीक के रूप में पूजनीय हैं। उनकी शिक्षा
और जीवन भगवद गीता सहित विभिन्न हिंदू दर्शन और ग्रंथों का कें द्र हैं, जो आध्यात्मिक मार्गदर्शन और नैतिक शिक्षा प्रदान करता है।
2. नैतिक और नीतिपरक पाठ: कृ ष्ण के जीवन को सदाचारी और संतुलित जीवन जीने के मार्गदर्शक के रूप में देखा जाता है। उनके कार्य और सनातन
धर्म शिक्षा (कर्तव्य/धार्मिकता), कर्म (कार्य और उसके परिणाम), और भक्ति की अवधारणाओं को संबोधित करते हैं। जन्माष्टमी का उत्सव इन सिद्धांतों
की याद दिलाता है।
3. आध्यात्मिक नवीनीकरण: भक्तों के लिए, जन्माष्टमी आध्यात्मिक नवीनीकरण और भक्ति का एक अवसर है। बहुत से लोग कृ ष्ण का सम्मान करने
और उनका आशीर्वाद पाने के लिए उपवास करते हैं, मंदिर सेवाओं में भाग लेते हैं, और प्रार्थना और ध्यान में संलग्न होते हैं।
4. बुराई पर अच्छाई का प्रतीक: माना जाता है कि कृ ष्ण का जन्म दुनिया को बुराई से छु टकारा दिलाने और सनातन धर्म की बहाली के लिए हुआ था।
जन्माष्टमी का उत्सव बुराई पर अच्छाई की जीत और धार्मिकता को बनाए रखने के लिए चल रहे संघर्ष का प्रतीक है।
कृ ष्ण का चरित्र चित्रण
श्री कृ ष्ण भगवान विष्णु के अवतार हैं , जो तीनो लोक के तीन गुणों सतगुण रजोगुण और तमोगुण में से सतगुण के स्वामी हैं। श्री कृ ष्ण को जन्म से सभी
सिद्धियां उयस्थित थी। कालांतर में उन्हें युगपुरुष कहा गया। उन्होंने ही महाभारत के युद्ध में अर्जुन के सारथि और सम्पूर्ण संसार को गीता के ज्ञान दिया
था, इस उपदेश के लिए कृ ष्ण को जगतगुरु का सम्मान दिया जाता है। संसार में कृ ष्ण के किरदार को शब्दों में बयां नहीं कर सकते वो एक निष्काम
कर्मयोगी, आदर्श दार्शनिक , स्थितप्रज्ञ एवं दैवी सम्पदाओं से सुसज्जित महान पुरुष थे।
निष्कर्ष
जन्माष्टमी सिर्फ एक त्योहार ही नहीं त्यौहार से कहीं अधिक है; यह दिव्य प्रेम, धार्मिकता और सांस्कृ तिक विरासत का उत्सव है। अपने जीवंत अनुष्ठानों,
आनंदमय उत्सवों और गहरे आध्यात्मिक महत्व के माध्यम से, जन्माष्टमी सभी पृष्ठभूमि के लोगों को भगवान कृ ष्ण के प्रति भक्ति और श्रद्धा की साझा
अभिव्यक्ति में एक साथ लाती है। जैसे ही हम इस शुभ अवसर का जश्न मनाते हैं, हमें कृ ष्ण की कालजयी शिक्षा और प्रेम, करुणा और धार्मिकता के स्थायी
मूल्यों की याद आती है जो मानवता को प्रेरित करते रहते हैं। कु ल मिलाकर, जन्माष्टमी के वल कृ ष्ण के जन्म का उत्सव नहीं है, बल्कि उनकी शिक्षा और
एक सार्थक और नैतिक जीवन जीने में उनकी प्रासंगिकता पर विचार करने का एक अवसर भी है।
भगवान कृ ष्ण की दिव्य कृ पा हम सभी पर बनी रहे और जन्माष्टमी की भावना हमारे दिलों को खुशी और भक्ति से भर दे।
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