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समास
द्वारा प्रस्तुत किया गया:-
आदित्य रंजन
नवी-फ
समास
अर्थ की दृष्टि से परस्पर स्वतन्त्र
रखने वाले दो या दो से अधिक शब्दों
को मिलाकर नया शब्द बनाने की
प्रक्रिया को सिास कहा जातना है ।
समास ि
े मुख्यतः छह (6) भेि होते हैं
—
अव्ययीभाव सिास
तनत्पुरूष सिास
किथिारय सिास
द्ववगु सिास
द्वंद्व सिास
बहुव्रीहह सिास
समास - ववग्रह
सिस्तन पदों को तनोड़ने , अतनाथर् अलग - अलग
करने को सिास ववग्रह कहा जातना है।
सिास ववग्रह = पूवथ पद + उत्तर पद
अव्ययीभाव सिास
• ष्जस सिास का पूवथ पद अव्यय हो , उसे " अव्ययीभाव सिास " कहतने हैं।
अव्ययीभाव सिास िें पहला पद ( पूवथ पद )प्रिान होतना है , तनर्ा सिस्तन पद अव्यय की भााँतनी
काि करतना है।
जैसे :- यर्ा + शष्ततन =यर्ाशष्ततन।
यहााँ 'यर्ा' अव्यय है तनर्ा 'यर्ाशष्ततन' सिस्तन पद भी एक अव्यय की भााँतनी काि कर रहा है।
उिहारण :-
समस्त पि ववग्रह
आज्ि ज्ि से
आजीवन जीवनपयंतन/जीवनभर
यर्ािततन िततन क
े अनुसार
तनिः संदेह सहंदेह रहहतन
प्रततनहदन हर हदन
अव्ययीभाव समास (िोहरािर )
• अव्ययीभाव सिास िें कभी - कभी पूवथ को दोहराकर भी मलख हदया जातना है। ऐसे
पद भी अव्ययीभाव सिास का रूप ले लेतने हैं।
समस्त पि ववग्रह
रातनोंरातन रातन ही रातन िें
साफ़-साफ़ बबल्क
ु ल साफ़
एकाएक अचानक
गााँव-गााँव हर गााँव
हातनोंहातन हातन ही हातन िें
तत्पुरुष समास
ष्जस सिास का उत्तर पद प्रिान तनर्ा पूवथपद (पहला पद ) गौण होतना
है, उसे तनत्पुरुष सिास कहतने हैं।
जैसे :–
िोक्षप्राप्तन – िोक्ष को प्राप्तन
रणभूमि – रण की भूमि
िममधारय समास
• ष्जस सिास िें एक पद उपिेय अर्वा ववशेषण तनर्ा ववशेष्य हो, उसे
किथिारय सिास कहतने हैं।
िममधारय समास ि
े भे
ि -
ववशेषण-
ववशेटय
उपिेय-
उपिान
ववशेषण-ववशेष्य
समस्त पि ववग्रह
पीतनवस्त्र पीला है जो वस्त्र
िहादेव िहान हैं जो देव
ववशेषण + ववशेटय = सिस्तन
उपमेय-उपमान
समस्त पि ववग्रह
कनकलतना कनक क
े सािान लतना
ववद्यािन ववद्यारूपी िन
उपिेय का अर्थ है :- ष्जसका का वणथन हो
उपन का अर्थ अर्थ है :- ष्जससे उपिा की तनुलना की जाये
द्ववगु समास
• ष्जस सिस्तन पद का पहला पद संख्यावाचि होतना है उसे द्ववगु समास कहतने
हैं
समस्त पि ववग्रह
ततनरंगा तनीन रंगो का सिाहार
चव्नी चार आनो का सिाहार
बहुव्रीदह समास
• ष्जस सिास िें न पूवथपद प्रिान होतना है न उत्तरपद, बष्ल्क अ्य पद की ओर संक
े तन
करतने हैं, उसे बहुव्रीहह सिास कहतने हैं।
जैसे:-
• पंकज , सिस्तन पद का ववग्रह हुआ – पंक + ज। अर्ाथतन ्– पंक (कीचड़) िें ज्ि
लेतना है जो।
• पंक िें िछली, घोंघा, सीप, कीड़े-िकोड़े घास आहद-आहद पैदा होतने हैं परंतनु यहााँ
पंकज ‘िमल’ क
े अर्थ का बोि करातना है।
• यह ‘िमल’ प्रिान होने क
े कारण यहााँ बहुव्रीहह सिास है।
समस्त पि ववग्रह
चििर चि को िारण करतना हो जो (ववटणु)
पीतनाम्बर वपले वस्र वाला है जो (कृ टण)
ि्यवाद्

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समास

  • 1. समास द्वारा प्रस्तुत किया गया:- आदित्य रंजन नवी-फ
  • 2. समास अर्थ की दृष्टि से परस्पर स्वतन्त्र रखने वाले दो या दो से अधिक शब्दों को मिलाकर नया शब्द बनाने की प्रक्रिया को सिास कहा जातना है ।
  • 3. समास ि े मुख्यतः छह (6) भेि होते हैं — अव्ययीभाव सिास तनत्पुरूष सिास किथिारय सिास द्ववगु सिास द्वंद्व सिास बहुव्रीहह सिास
  • 4. समास - ववग्रह सिस्तन पदों को तनोड़ने , अतनाथर् अलग - अलग करने को सिास ववग्रह कहा जातना है। सिास ववग्रह = पूवथ पद + उत्तर पद
  • 5. अव्ययीभाव सिास • ष्जस सिास का पूवथ पद अव्यय हो , उसे " अव्ययीभाव सिास " कहतने हैं। अव्ययीभाव सिास िें पहला पद ( पूवथ पद )प्रिान होतना है , तनर्ा सिस्तन पद अव्यय की भााँतनी काि करतना है। जैसे :- यर्ा + शष्ततन =यर्ाशष्ततन। यहााँ 'यर्ा' अव्यय है तनर्ा 'यर्ाशष्ततन' सिस्तन पद भी एक अव्यय की भााँतनी काि कर रहा है।
  • 6. उिहारण :- समस्त पि ववग्रह आज्ि ज्ि से आजीवन जीवनपयंतन/जीवनभर यर्ािततन िततन क े अनुसार तनिः संदेह सहंदेह रहहतन प्रततनहदन हर हदन
  • 7. अव्ययीभाव समास (िोहरािर ) • अव्ययीभाव सिास िें कभी - कभी पूवथ को दोहराकर भी मलख हदया जातना है। ऐसे पद भी अव्ययीभाव सिास का रूप ले लेतने हैं। समस्त पि ववग्रह रातनोंरातन रातन ही रातन िें साफ़-साफ़ बबल्क ु ल साफ़ एकाएक अचानक गााँव-गााँव हर गााँव हातनोंहातन हातन ही हातन िें
  • 8. तत्पुरुष समास ष्जस सिास का उत्तर पद प्रिान तनर्ा पूवथपद (पहला पद ) गौण होतना है, उसे तनत्पुरुष सिास कहतने हैं। जैसे :– िोक्षप्राप्तन – िोक्ष को प्राप्तन रणभूमि – रण की भूमि
  • 9. िममधारय समास • ष्जस सिास िें एक पद उपिेय अर्वा ववशेषण तनर्ा ववशेष्य हो, उसे किथिारय सिास कहतने हैं। िममधारय समास ि े भे ि - ववशेषण- ववशेटय उपिेय- उपिान
  • 10. ववशेषण-ववशेष्य समस्त पि ववग्रह पीतनवस्त्र पीला है जो वस्त्र िहादेव िहान हैं जो देव ववशेषण + ववशेटय = सिस्तन
  • 11. उपमेय-उपमान समस्त पि ववग्रह कनकलतना कनक क े सािान लतना ववद्यािन ववद्यारूपी िन उपिेय का अर्थ है :- ष्जसका का वणथन हो उपन का अर्थ अर्थ है :- ष्जससे उपिा की तनुलना की जाये
  • 12. द्ववगु समास • ष्जस सिस्तन पद का पहला पद संख्यावाचि होतना है उसे द्ववगु समास कहतने हैं समस्त पि ववग्रह ततनरंगा तनीन रंगो का सिाहार चव्नी चार आनो का सिाहार
  • 13. बहुव्रीदह समास • ष्जस सिास िें न पूवथपद प्रिान होतना है न उत्तरपद, बष्ल्क अ्य पद की ओर संक े तन करतने हैं, उसे बहुव्रीहह सिास कहतने हैं। जैसे:- • पंकज , सिस्तन पद का ववग्रह हुआ – पंक + ज। अर्ाथतन ्– पंक (कीचड़) िें ज्ि लेतना है जो। • पंक िें िछली, घोंघा, सीप, कीड़े-िकोड़े घास आहद-आहद पैदा होतने हैं परंतनु यहााँ पंकज ‘िमल’ क े अर्थ का बोि करातना है। • यह ‘िमल’ प्रिान होने क े कारण यहााँ बहुव्रीहह सिास है।
  • 14. समस्त पि ववग्रह चििर चि को िारण करतना हो जो (ववटणु) पीतनाम्बर वपले वस्र वाला है जो (कृ टण)