Rajesh Kumar Mishra Barhaj Vidhan SabharkmishraseoA man known to Barhaj, Uttar Pradesh as an active Social Worker & Political Activist, Rajesh Kumar Mishra is a distinguished personality who follow his ideals & principles for the welfare of other people
POWERPOINT ON GUJARAT prathamesh bandekarHOPE YOU ENJOYED MY POWER POINT ON GUJARAT AND ITS CULTURE, LANGUAGE AND ALL. IF YOU WANT YOU CAN DOWNLOAD IT.I HAD SHOWN IT IN DAHANU'S SHIRIN DINYAR IRANI LEARNERS ACADEMY SCHOOL FOR MY HINDI PROJECT. THANK YOU FOR WATCHING MY POWER POINT ON GUJARAT. BYE -PGB
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Patriotism redefinedBalaji SharmaThis document discusses patriotism and living abroad. It argues that many Indians feel they must leave India for opportunities and money, reflecting a lack of opportunities in India (Paragraph 1). However, many work in difficult conditions abroad with their passports confiscated (Paragraph 1). The document questions why educated Indians cannot instead build up India, as countries like Japan and Singapore have done (Paragraph 1). It also criticizes Indians for being selfish and only caring for their own comfort, while begging or feeling ashamed of their Indian identity abroad (Paragraphs 2-3). In contrast, it notes that foreigners embrace Indian culture in places like ISKCON temples (Paragraph 3). It shames Indians for wanting to imitate the West rather than respecting
Right wrongBalaji SharmaThe document describes an experience the author had as a student where they were asked to identify the tense of the verbs "I See you" and "I am seeing you" and answered "Past Tense", which made their classmates laugh. When the teacher said they gave the wrong answer despite explanations, the author politely disagreed and asked to explain their reasoning: that when words are spoken, they mix with the air and move into the past, so they don't think they should lie. The author argues that grammatically it could be present or present continuous tense, but factually all actions constantly migrate to the past, so past has a strong existence and present is also past. They ask the teacher to clarify if their view is right or
1. महानगर ‘लण्ड़न’
युनाइटेड़ क िं ग्ड़म ी राजधानी – स िंहावलो न
लण्ड़न ो महा (तथा श्रेष्ठ) नगर हना मेरे ख्याल े अत्युक्तत
/ अततशयोक्तत नह िं है | उ ा ौन्दयय स्वच्छता े ारण ई
गुना बढ़ गया है | हााँ, धूम्रपान रनेवाल क्स्ियों और पुरुषों ी
खा ी िंख्या े ारण इधर-उधर स गरेट े टु ड़े बबखरे नज़र
आते हैं, स वा उन े और ोई चडा ह िं देखने ो नह िं
समलता | ड़ ों े दोनों ओर लगे वृक्ष, इमारतों े आगे और
वारजों (छज्जों) में लगे, हवा ी छेड़खानी े हहल रहे रिंग-बबरिंगे
फू लों े पौधे, ड़ ी बक्त्तयों े खिंभों े दोनों ओर लट ते
हुए गमलों में खखले खूब ूरत, मनमोह ुमन-क्जन्हें देख लगता
है क रिंगों े छ िंटे पवन िंग होल खेल रहे हैं – अनाया हमें
आ र्षयत रते हैं
यूरोपीय देशों मे ‘अगस्त’ ग्रीष्माव ाश ा मह ना होता है |
इ वषय (2016) मैं भी अपने बेटे े ाथ लण्ड़न ा रौन
देखने गई थी | अब ी बार हम लोग वेस््समन्स्टर े
इन्वने टेरे में ठहरे थे |
2. मैंने देखा क हर इमारत में भूतल े
नीचे आवा स्थान बना हुआ है | ार
इमारतें खूब बड़ी-लम्बी ए - ी लगती हैं
| हमारे ामने ी ओर था मलेसशयायी
“बरजाया” होटल तथा आवा स्थान -
क्ज में लगे ई पौधे अपने फू लों े
लोगों ो अपनी ओर खीिंच रहे थे | मुझे
आश्चयय हुआ – (धन-दौलत ी तो चोर
होती ह है) – पौधों ी भी चोर होती है
तयोंक वहााँ सलखा हुआ था ‘For your
notice, please don’t steal our
plants’
रास्ते में लोग ु छ –न- ु छ खाते हुए
चलते हैं, भोजनालयों े बाहर पटररयों
पर बबछ ु स ययों पर बैठे खाते हुए
नज़र आते हैं, इ सलए नीचे बबखरे
अन्न-गण चुगने हर ह िं बूतर चलते
हदखाई देते हैं जै े उन े दोस्त हों,
भी- भी तो पीछे पड़ जाते हैं |
3. लोग चाव े उन्हें खखलाते भी हैं , बच्चों े बारे में तो हने
ी ज़रूरत ह नह िं, अपनी हथेल में खाद्य ामग्री ले अन्हें
खखलाते हैं | हमारे आवा े द् समनट बाएाँ चल र ड़
पार रने पर वनस्पतत ाम्राज्य े क्न् ङ्टन गाड़यन’ हमारा
आह्वान रता है जो बहुत ह र्वस्िुत 270 ए ड़ अथायत् 111
हेतटर भूभाग ो मेटे हुए है| तरह- तरह े ऊाँ चे-घने पेड़,
ज़मीन पर हमारे पााँवों ो हलाती नरम घा , उनपर बबखरे
रिंगीन ु ुम, शाम े ात या ाढ़े ात बजे त वृक्षों ी
हररयाल े सलपट धूप जो मानो उ े
बबछु ड़ ूरज- िंग अस्त न होना चाहती
हो – हमें क ी अन्य खूब ूरत लो में
पहुाँचा देते हैं | थोड़ी-थोड़ी दूर पर ऐ े
ई बगीचे देखने ो समलते हैं |
बीच-बीच में ड़ ें बनी हैं, ाइक ल
चलाने े सलए भी अलग पथ हैं, बच्चों
ो बहलाने े ई ाधन हैं, आइ -क्रीम चप्पे-चप्पे पर
बब ता है | दौड़ते-लुढ़ ते-फााँदते पालतू ु त्ते चमत् ार
प्रदसशयत रते हैं |
4. पक्षक्षयों ा लानाद- मानो मधुर िंगीत हो – ानों ो दावत
देता है, गगलहररयााँ पेड़ों े उतरते, कफर रय े ऊपर चढ़ते
हदखाई देते हैं क्जन्हें प्यार े लोग म ई, चने आहद दाने
खखलाते हैं | हमारे भारत ी गगलहररयों ी पीठ पर तीन
अाँगुसलयों ी रेखाएाँ हैं, पर उन ी पीठ पर वे नह िं हैं तयोंक
उन्हें श्री रामचन्रजी े ृ पा पाि बनने ा भाग्य नह िं समला
है |
दक्षक्षणी इिंग्लैंड़ े हो र बहनेवाल बहुत बड़ी नद है थेम् जो
215 मील लम्बी ( 346 क .मी.) और ई शहरों तथा
बक्स्तयों ी शोभा बढ़ाती है | पूरे युनाइटेड़ क ङ्ग्ड़म ी वह
5. दू र लम्बी नद है | इ े इतना मुख्यत्व हदया गया है क –
वहााँ ा र्वश्वर्वद्यालय थेम् वैल यूतनवस यट , थेम् वॉटर,
थेम् टेसलर्वज़न प्रोड़ेतशन, थेम् & हड़् न पक्ललसशिंग
म्पनी – इत्याहद, इत्याहद – इ े नाम े ाथ जुड़े हैं
क्ज ी लम्बी ूची बन ती है | मैंने अपनी पावन नद
गिंगा ी तुलना इ े ी – हम लोग हते हैं गिंगाजी ो
माता, उ ी पूजा रते हैं, आरती रते हैं, भजन गाते हैं,
पर उ ी स्वच्छता पर ततन भी ध्यान नह िं देते हैं | पर
थेम् बहुत ह ाफ़ है | जॉन बन् य ने इ ा यों उल्लेख
क या है – ‘तरल बिहटश इततहा ’ | थेम् ा इततहा 58
समक्ल्लयन वषय पुराना है | इ ी हानी बहुत लम्बी ह नह िं
पुरानी भी है| िंक्षेप में हा जाए तो यह नाम लतीन े
तमस , िंस् ृ त े तम ् (अिंधेरा) े आगे चल र तघ ते
र्पटते थेम् बन गया है |
थेम् पर बना है लण्ड़न आइ
(London Eye), यह नाम बबल् ु ल
ाथय है, इ में े पूरा लण्ड़न देखा
जा ता है | 135 मी. ऊाँ चा तथा
120 मी. व्या वाला इ में ााँच े
वृहद् र्पिंजड़े हैं जो धीमी गतत े
6. घूमते चत र लगाते हैं | उन ी िंख्या है 32 |
वहााँ े बबग-बेन हदखाई देता है जो
दशयनीय है |
उ े पा ए और आश्चयय हमारे
सलए बना है- खम्भे- े-आ ार पर
गोल-गोल घूमते भोजनालय – मरे हैं
जो नीचे े देखने पर बहुत छोटे पक्षी
– े लगते हैं | थोड़ी दूर चलने पर ड़ े दोनों ओर िं द
भवन क्स्थत हदखाई देते हैं | मिंबियों तथा ािं दों ी गाड़ड़यााँ
चलती हैं क्ज े लोगों े आवागमन में ोई बाधा नह िं पड़ती
|
बक िं गाम पैल (राजमहल) क्ज में
महारानी एसलज़बेत रहती हैं – बहुत
बड़ा है | क ी ो अन्दर जाने ी
अनुमतत नह िं है | बाहर दशय ों ी
खा ी भीड़ रहती है |
7. म्यूक्ज़यम ऑफ़ लण्डन ( िंग्रहालय) दशयनीय स्थान है जो
लण्ड़न े बारे में जान ार देता है – आयरलैण्ड़, स् ाटलैण्ड़
और इिंग्लैण्ड़ यूरोप े ाथ समला हुआ था | भी ऐ ा
जलजला आया क मुन्दर ने उन्हें अलग र हदया | इतना
ह नह िं उ भूभाग पर रोम ा शा न था | रोमवालों ने
लण्ड़तनयों ी जीवन शैल , तौर-तर े आहद बदल हदए | खैर
हमें इन बातों ी गहराई में जाना नह िं है | वहााँ भी लोगों ी
खा ी भीड़ रहती है | भी ऐ ा मय रहा जब उन े राज्य
में ूयायस्त होता ह न था | इ सलए हर देश े लाई गई
चीज़ों ी प्रदशयनी वहााँ ी खास यत है | देखने में ई घिंटों
ा मय लगता है |
8. टावर ऑफ लण्ड़न देखना
ारे भारतीयों े सलए
आवश्य है | धूसमल रोशनी
में आाँखों ो चौंगधयाते
जवाहरात देख हमारा स र
च रा जाता है | क तने
प्र ार े मु ु ट ... ! उन े
बीच ए में जड़ा हमारा
ोहहनूर भी हमें देख हमार लाचार और स्वाथय े पररणाम
पर व्यिंग्य र रहा है | इतना ह नह िं अने स्वणय-पाि हैं –
ु छ बहुत ह बड़े और ु छ छोटे | यहााँ त क लतछयााँ भी
ोने ी हैं | मैं ोचने पर मज़बूर हुई क क तने देशों ा
‘ वयस्व’ उनमें माया हुआ है | ाश ! “अब पछताते होत
तया जब गचड़डया चुग गई खेत |”
उ धरा पर भी हम भारतीयों ने अपना भक्तत-भाव ा गचह्न
अिंक त क या है मिंहदरों े रूप में | दो स्वामी नारायण मिंहदर
हैं ए नी ड़न में और दू रा िेण्टफ्ह ल्ड़ में | दो सशव-पुि
ाततय े य (मुरुगन) े मिंहदर – ईस्ट हेम तथा लण्डन े चचय
स्र ट - द्क्षक्षण भारत े लोगों ने बनवा रखे हैं और तनयसमत
रूप े पूजन- अचयन ा प्रबिंध भी र रखा है क्जनमें सशवजी,
पावयतीजी, चक्ण्ड़ े श्वर, नवग्रह आहद स्थार्पत हैं | ए सशव-
9. मिंहदर है – लेर्वशेम में - क्ज में दाक्षक्षणात्य प्धततत े पूजन-
अचयन क या जाता है | पूजन े बाद श्र्धतालुओिं ो भोजन भी
परो ा जाता है |
इस् ान मिंहदर – मेयफ़े र - जहााँ
ओड़डशी शैल – जगन्नाथ मिंहदर – ी
ृ ष्णजी, बलरामजी और ुभरा ी
मूततययााँ तथा (व्रज जै ी) राधा- ृ ष्ण
ी जी मूततययााँ हैं | अिंग्रेज़ तथा
अन्य पाश्चात्य देश े स्िी-पुरुष स्व ुगध खो र रताल
बजाते हुए “हरे राम, हरे ृ ष्ण, ृ ष्ण- ृ ष्ण हरे-हरे” ा
भजन गाते हैं – ाथ में ढ़ोल , हारमोतनयम आहद वाद्य,
ुर-ताल समलाते हैं तब श्र्धतालु तथा श्रोता भक्तत-लो में
पहुाँच जाते है | वे ब शु्धत शा ाहार भोजन रते हैं | मिंहदर
े नीचे उन ा भोजनालय है क्ज ा भोजन अत्यन्त
स्वाहदष्ट है शायद ृ ष्णार्पयत होने े ारण |
वै े तो बहुत ार बातें हैं -- आप लोगों ो ऊब ा अनुभव
न हो, इ सलए पूणय-र्वराम लगा देती हूाँ अब | पाठ ों े
तनवेदन है क मेरा धन्यवाद स्वी ारें !